Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार किया है. शीर्ष अदालत के इस फैसले से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बड़ी राहत मिली है. बताते चलें कि पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने अनिल देशमुख को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस फैसले को चुनौती दी थी.
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा अनिल देशमुख को दी गई जमानत को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा कि सिर्फ इसलिए कि अनिल देशमुख का एक ही बैंक से लेनदेन है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में इस बात का जिक्र था कि क्या आवेदक जमानत देने का हकदार है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम स्पष्ट करते हैं कि हमारा अवलोकन सिर्फ उस पहलू तक ही सीमित रहेगा. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख 2021 से जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में केस चल रहा है.
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने पिछले साल आरोप लगाया था कि गृह मंत्री के पद पर रहते हुए अनिल देशमुख ने एपीआई सचिन वाजे को ऑर्केस्ट्रा बार से हर महीने सौ करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दिए थे. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने भी इसकी जांच शुरू की. ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि गृह मंत्री रहते हुए अनिल देशमुख ने अपने पद का दुरुपयोग किया और मंबई के ऑर्केस्ट्रा बार से 4.70 करोड़ रुपये की वसूली की. बाद में इस पैसे को उनके बेटे ऋषिकेश देशमुख ने दिल्ली की एक शेल कंपनी को कैश के रूप में ट्रांसफर किए. फिर यह रकम श्री साईं शिक्षण संस्था को डोनेशन के रूप में मिली. बताया गया कि इस संस्था को अनिल देशमुख परिवार चलाता है.