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Explainer: नीलम गोरहे का शिंदे गुट मे शामिल होना ‘अवसरवादिता या राजनीति’?

उद्धव ठाकरे की सहयोगी रहीं महाराष्ट्र विधान परिषद उप-सभापति नीलम गोरहे ने सबको चौंकाते हुए एकनाथ शिंदे द्वारा नीत शिवसेना का दामन थाम लिया. 1998 में बाला साहेब की शिवसेना का दामन थामने वाली नीलम गोरहे ने शिंदे गुट में शामिल होते ही पीएम मोदी की तारीफ में कसीदें पढ़ डालीं.

महाराष्ट्र की राजनीति में इनदिनों असंभव कुछ भी नजर नहीं आता. पहले शिवसेना फिर एनसीपी दोनों दलों में फुट के बाद भी महाराष्ट्र में टूट-फुट जारी है. ताजा घटना शुक्रवार की है जहां शिव सेना उद्धव गुट को एक और झटका उस वक्त लगा जब महाराष्ट्र विधान परिषद उपाध्यक्ष एवं शिवसेना (यूबीटी) की नेता नीलम गोरहे शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना में शामिल हो गईं. गोहरे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सहायक थीं, वह मुंबई में शिंदे एवं उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुईं. नीलम गोरहे के शिंदे गुट में शामिल हुते ही उन्हे पार्टी में ‘नेता’ पद से नवाजा गया है, ये पद पार्टी अध्यक्ष के बाद सबसे बड़ा पद होता है.

शिंदे गुट में शामिल होना ऐतिहासिक कदम- नीलम गोरहे 

नीलम गोरे ने शिंदे गुट में शामिल होने के बाद पीटीआई को दिए अपने एक बयान में कहा कि, ”एकनाथ शिंदे के कुशल नेतृत्व में शिवसेना सही दिशा में आगे बढ़ रही है. मैंने महिलाओं के मुद्दों और राज्य तथा देश के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है.” वहीं मुख्यमंत्री शिंदे ने गोरे के अपनी पार्टी में शामिल होने को ”ऐतिहासिक” घटनाक्रम बताया था. ये घटना ऐसे व्यक्त पर हुई जब महाराष्ट्र में एनसीपी की टूट के बाद राजनीतिक उथल-पुथल काफी तेज है. अजित पवार गुट के सरकार में शामिल होने से शिंदे गुट में खलबली तो मच ही चुकी है. राजनीतिक मायनों में कहीं ये शिंदे का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं?

नीलम गोरहे का राजनीतिक इतिहास 

नीलम गोरहे महाराष्ट्र की राजनीति का एक जाना माना चेहरा हैं. वर्ष 1987 से नीलम सामाजिक कार्यकर्ता के रूप से राजनीति में सक्रिय हैं. उनका रुझान शुरू से शिवसेना की तरफ था. नीलम गोरे 1998 में शिव सेना में शामिल हुईं, तब से उन्हें एक वफादार शिवसैनिक और शिव सेना के महिला चेहरे के रूप में जाना जाता है. नीलम गोरे स पहले साल 2002 में विधान परिषद के रूप में चुनी गयीं, उसके बाद साल 2008, 2014, और 2020 में लगातार चौथी बार विधान परिषद के लिए चुनी गयीं. ठीक एक साल पहले यानी 7 जुलाई 2022 को नीलम गोरे को महाराष्ट्र विधान परिसद का उप-सभापति बनाया गया.

उद्धव ठाकरे की सहायक थीं नीलम गोरहे 

नीलम गोरहे विधान परिषद की उप सभापति होने के साथ उद्धव ठाकरे की सहायक भी थीं. नीलम की पढ़ाई लिखाई भी मुंबई से हुई है, उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. नीलम का शिंदे गुट में शामिल होना उद्धव खेमे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. कई शिवसैनिक अब इस पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं की नीलम गोरहे ने उद्धव गुट का दामन छोड़ कर शिंदे गुट का दामन थाम लिया है.

शिवसेना उद्धव गुट ने नीलम गोरहे पर साधा निशाना 

नीलम गोरे के शिंदे गुट में शामिल होने के बाद आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर शिंदे गुट के साथ गोरे पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा, चल रही लड़ाई स्वार्थी बनाम ईमानदार सोच के बीच है. उद्धव ठाकरे ने एक ही व्यक्ति को चार बार विधान परिषद में जाने का मौका दिया. 21 साल तक वहां रहने के बावजूद उन्हें दो बार संवैधानिक पदों का लाभ दिया गया.” कुर्सी का मोह न रोक पाने को लेकर आदित्य ने नीलम गोरे की भी आलोचना की है. आदित्य ठाकरे ने कहा, दलबदल को लेकर उन्हें सिर्फ एक गाना याद है. ‘यह मोह मोह के धागे…’ कुर्सी का मोह, रिश्ते तोड़ देता है, नैतिकता भूल जाता है!”

शिंदे गुट में शामिल होते ही नीलम गोहरे ने पीएम मोदी की तारीफ में पढ़ीं कसीदें

शिंदे गुट में शामिल होते ही नीलम गोहरे ने पीएम मोदी की तारीफ में कसीदें पढ़ीं, उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में बड़े विकास कार्य हुए हैं. राम मंदिर का काम, जम्मू-कश्मीर में धारा 307, तीन तलाक समेत कई और काम शुरू किए गए हैं.” . राज्य में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना सही रास्ते पर है . ”मैंने महिलाओं के मुद्दे और देश के विकास को एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखते हुए शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है.”

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