मुंबई : भीमा कोरेगांव मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार की परेशानी बढ़ने वाली है. इस मामले में महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने एक जांच आयोग का गठन कर दिया है, जो एनसीपी के मुखिया पवार का बयान दर्ज करेगा. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जांच आयोग के वकील आशीष सतपुटे ने कहा कि शरद पवार का बयान आगामी दो अगस्त से दर्ज किया जाएगा. इसके लिए उन्हें जल्द ही एक सम्मन भेजा जाएगा.
बता दें कि इसी हफ्ते सोमवार को भीमा कोरेगांव मामले में एक आरोपी स्टेन स्वामी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. हाईकोई के आदेश के बाद मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस दिन अस्पताल में 84 साल के स्टेन स्वामी का निधन हुआ, उसी दिन उनकी जमानत को लेकर अदालत में सुनवाई चल रही थी.
गौरतलब है कि 2 जनवरी 2018 को यह घटना उस वक्त हुई जब भीमा कोरेगांव संघर्ष के 100 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें हिंसा हो गई थी. इस हिंसात्मक घटना के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 10 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे.
इस मामले में पुलिस की ओर से 162 लोगों के खिलाफ कुल 58 मामले दर्ज किए थे. इसके बाद 18 मार्च, 2020 को भीमा कोरेगांव आयोग ने शरद पवार को पेश होने के लिए कहा था. आयोग उन वजहों का पता लगाने में जुटा है, जिसके चलते यह हिंसात्मक घटना हुई थी.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 8 अक्टूबर 2018 को बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएन पटेल की अगुआई में जांच आयोग के सामने मीडिया में 2018 की जातीय हिंसा को लेकर दिए अपने बयानों के मद्देनजर एक हलफनामा पेश किया था. इसके बाद इस साल की फरवरी में सोशल ग्रुप विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे की ओर से जांच आयोग के सामने एक याचिका दायर की गई थी.
शिंदे के आवेदन में 2018 की जाति हिंसा को लेकर मीडिया में उनके द्वारा दिए गए कुछ बयानों को लेकर शरद पवार को तलब करने की मांग की गई थी. शिंदे ने इस मामले में दायर की गई याचिका में पवार की प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र किया था.
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Posted by : Vishwat Sen