मुंबई : महाराष्ट्र में आज 10 जून को वर्ष 1998 के बाद से लेकर अब तक करीब 24 साल बाद पहली बार राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान होने जा रहा है. अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर इतने लंबे वक्त तक महाराष्ट्र में राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान क्यों नहीं कराया गया? आखिर इसके पीछे असली कारण क्या है? क्या किसी प्रकार की राजनीतिक, प्रशासनिक या फिर संवैधानिक अड़चनें थीं, जिसकी वजह से इतने लंबे वक्त तक मतदान नहीं होता रहा? तो हम आपको बता दें कि इसका कारण जानकर आप भी अचंभित रह जाएंगे.
मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो आज 10 जून को महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के तहत छह सीटों के लिए मतदान होगा. वर्ष 1998 के बाद करीब 24 साल के दौरान यह पहला ऐसा मौका होगा, जब महाराष्ट्र में राज्यसभा सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान कराया जाएगा. मतदान सुबह नौ बजे से शुरू होगा और शाम चार बजे तक चलेगा. अभी तक इस महाराष्ट्र में राज्यसभा सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले 24 साल से राज्य में खाली हुई राज्यसभा की सीटों पर सदस्य निर्विरोध निर्वाचित होते आए हैं. इसीलिए 1998 के बाद यह पहला मौका है, जब महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में मुकाबला होगा.
महाराष्ट्र के राजनीतिक दलों ने राज्यसभा की छह सीटों के लिए आज होने वाले चुनाव के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. इस चुनाव को राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अपनी ताकत परखने के एक मौके के रूप में देखा जा रहा है. दो दशक से अधिक समय के बाद महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के तहत मतदान होगा, क्योंकि छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार मैदान में हैं. मतदान प्रक्रिया सुबह नौ बजे से शुरू होकर शाम चार बजे तक चलेगी.
मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) से बचने के लिए अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न होटलों और रिसॉर्ट में स्थानांतरित कर दिया है. वे सभी विधायक मतदान प्रक्रिया शुरू होने तक होटल में ही रहेंगे. एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे, भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव गुरुवार को यहां अपने-अपने दलों के नेताओं के साथ बैठक करके चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है.
बता दें कि महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए 288 सदस्यीय विधानसभा निर्वाचक मंडल है. हालांकि शिवसेना विधायक रमेश लाटके के निधन से एक सीट खाली होने और एक विशेष अदालत द्वारा मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की चुनाव में मतदान के लिए एक दिन की जमानत नहीं दिए जाने के बाद कुल वोट 285 रह गए हैं. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि पार्टी अदालत के फैसले से असंतुष्ट है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायक हैं. इसके साथ ही, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44, भाजपा के 106, बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के तीन, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो-दो, मनसे, माकपा, पीडब्ल्यूपी, स्वाभिमानी पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, जनसुराज्य शक्ति पार्टी, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी एक-एक और 13 निर्दलीय विधायक हैं. एक उम्मीदवार को निर्वाचित कराने के लिए पहली वरीयता के वोटों का कोटा घटकर 41 हो गया है. कांग्रेस और एनसीपी ने अपनी दूसरी वरीयता के वोट शिवसेना के संजय पवार को हस्तांतरित करने का फैसला किया है. छठी सीट के लिए मुकाबले में एमवीए के सहयोगी पार्टियां और भाजपा छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के 25 अतिरिक्त वोटों पर निर्भर हैं.
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