शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एकनाथ शिंदे गुट से सवाल पूछा. उन्होंने कहा, 3 साल तक शिवसेना-NCP-कांग्रेस की शादी अच्छी चली, लेकिन अचानक ऐसा क्या हो गया. दरअसल जून 2022 में महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट लेकर प्रधान न्यायाधीश बोल रहे थे.
यह लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक तमाशा : चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सत्तारूढ़ दल में विधायकों के बीच केवल मतभेद के आधार पर बहुमत साबित करने को कहने से एक निर्वाचित सरकार पदच्युत हो सकती है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि राज्य का राज्यपाल अपने कार्यालय का इस्तेमाल इस नतीजे के लिए नहीं होने दे सकता. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, यह लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक तमाशा होगा.
तीन साल सरकार के साथ रहते हैं और अचानक एक ही दिन में ऐसा क्या हो जाता है
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र मामले में शख्त टिप्पणी करते हुए कहा, अगर चुनाच होने तक चीजें हों तो बात बनती है, लेकिन तीन साल सरकार के साथ रहते हैं और अचानक एक ही दिन में ऐसा क्या हो जाता है कि 34 लोगों का गुट यह कहने लगता है कि सरकार में असंतोष है.
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राज्यपाल की भूमिका पर भी सीजेआई ने उठाया सवाल
सीजेआई ने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाया और कहा, पार्टी के विधायकों के बीच मत का आधार कुछ भी हो सकता है जैसे विकास कोष का भुगतान, पार्टी का आदर्शों से हटना लेकिन क्या यह आधार राज्यपाल द्वारा सदन में बहुमत साबित करने को कहने के लिए पर्याप्त हो सकता है? राज्यपाल को अपने कार्यालय का इस्तेमाल खास नतीजे के लिए नहीं करने देना चाहिए. बहुमत साबित करने को कहने से निर्वाचित सरकार पदच्युत हो सकती है.
शादीशुदा रिश्ते से सीजेआई ने की तुलना
उद्धव ठाकरे सरकार गिराने की बात पर सीजेआई ने शायराना अंदाज में टिप्पणी की. उन्होंने शिंदे गुट से पूछा, आप सभी एक खुशहाल शादीशुदा रिश्ते में थे, फिर अचानक क्या हुआ. तीन साल साथ रहे, फिर राजनीति का मजा लेने के लिए कहते हैं, हमारा काम हो गया. गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे और कुछ विधायकों ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर महाविकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया और बीजेपी की मदद से सरकार बनाया. चुनाव आयोग ने भी शिंदे गुट हो ही असली शिवसेना बताया. जिसे ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.