फ़िल्म -अवतार द वे ऑफ वाटर
निर्देशक – जेम्स कैमरून
निर्माता – जेम्स कैमरून और जॉन लैंडयु
कलाकार – सैम वेर्थीटन, जोई सालड़ाना, ब्रिटिन डालटन, स्टेफेन लैंग, जेक और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग – साढ़े तीन
जेम्स कैमरून की 2009 में रिलीज हुई फ़िल्म अवतार ने विजुअल सिनेमा को एक नयी ऊंचाई पर ला खड़ा किया था ,13 साल बाद इसके सीक्वल अवतार -द वे ऑफ वाटर ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है. यह सीक्वल भी तकनीकी रूप से सिनेमा क़े लिए एक नयी बुलंदी बनकर सामने आया है.जो आनेवाली कई पीढ़ियों को सिनेमा क़े इस जादू को अपनी कहानियों से जोड़ने या उससे बेहतर करने क़े लिए प्रेरित करेगा. इस फ़िल्म का विजुअल ट्रीटमेंट आँखों को कुछ इस कदर चकाचौंध से भर देता है कि फ़िल्म की कुछ खामियों को आप नज़रअंदाज़ कर देते हैं. यह फ़िल्म सिनेमा क़े एक अलग ही पावर से रूबरू करवाती है.
पिछली बार की तरह इस बार भी कहानी बहुत ही सरल है. इसके बाद क्या होगा आपको पता है, लेकिन यह कैसे होगा परदे पर यही बात इस फ़िल्म को खास बना देती है. इस खास को देखने क़े लिए आपको सिनेमाघर की ओर रुख करना होगा खासकर अगर वह आइमैक्स हो तो कहने. फ़िल्म को थ्री डी फॉर्मेट से कम में तो बिल्कुल ही ना देखें, वरना आप इसक़े सिनेमैटिक अनुभव का पूरी तरह से अनुभव नहीं ले पाएंगे और वही इस फ़िल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है. बहुत खास विजुअल वाली इस आम कहानी पर आए तो फ़िल्म की कहानी दस साल पहले आगे बढ़ चुकी है. सूली (सैम )ओर नेतरा (जोई )अपने परिवार क़े साथ खुश हैं. उनके दो बेटे एक बेटी है. उनके परिवार में दो और लोग हैं.ये सभी अपनी दुनिया में खुश हैं, लेकिन सूली को पता है क़ि खतरा अभी टला नहीं है बल्कि वह और बड़ा हो गया है. हुआ भी यही है. कर्नल क्वाटरीच (स्टेफेन ) अब खुद भी अवतार बन चुका है और उसकी टीम क़े लोग भी. उनका एक ही मकसद है सूली का खात्मा करना. क्या वे कर पाएंगे. यही आगे की कहानी है. इस सरल कहानी में कई इमोशन खास जोड़े गए हैं, जो भारतीय दर्शकों को खासतौर पर अपील कर सकता है.यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है. जो अपने परिवार को बचाने क़े लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वह अपना घर, अपनी दुनिया, अपनी सत्ता को भी छोड़ सकता है.एक इंसान और जानवर क़े गहरे इमोशन को भी कहानी में अहमियत दी गयी है. पिछली कहानी की तरह यहां भी इंसान क़े लालच को कहानी में जोड़ा गया है. जो जंगल, समुन्द्र और जानवर सभी का विनाश कर सिर्फ अपना हित साधने में जुटा है.इंसान हमेशा बुरे ही होते हैं यह ज़रूरी नहीं है. स्पाइडर क़े किरदार से एक बात साबित करने भी कोशिश हुई है.
फ़िल्म की खामियों की बात करें तो फ़िल्म तीन घंटे की है, फ़िल्म की लम्बाई थोड़ी कम की जा सकती है. फ़िल्म मूल कहानी पर आने में थोड़ा ज़्यादा समय लेती है. फ़िल्म का क्लाइंमैक्स बहुत ही बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है लेकिन कुछ दृश्य टाइटैनिक की याद दिला जाते हैं.इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है यह बात भी थोड़ी अखरती है.
यह फ़िल्म विजुअल स्तर पर सिनेमा को एक नए मुकाम पर पहुंचाती है.जेम्स कैमरून का समर्पण दिखता है.अवतार क़े पहले पार्ट में जंगल क़े चमत्कारी पेड़ -पौधे, पहाड़, अजीबोगरीब कीड़े -मकोड़े, पक्षी, खतरनाक जंगली कुत्ते, पेंडोरा क़े शक्तिशाली नीले रंग क़े निवासी चकित कर गए थे, तो इस बार पानी क़े भीतर की दुनिया को दिखाया गया. गहरा नीला समुन्द्र, उसकी गहराइयां, उसके अजीबो गरीब जीव जंतु, विशालकाय मछली पायकन और मेटकायाना साम्राज्य, जिसके लोग नावी से हल्के रंग क़े हैं, समुन्द्र की यह दुनिया भी आश्चर्य और विस्मय से भरी होने क़े साथ -साथ अलौकिक अनुभूति का एहसास करवाती है. फ़िल्म का संगीत फ़िल्म क़े हर इमोशन को बखूबी बया कर जाता है. फ़िल्म क़े क्लाइमैक्स में एक्शन दृश्य को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है.एक्शन प्रेमी दर्शकों क़े रोमांच को यह फ़िल्म बढ़ाती है.फ़िल्म क़े संवाद कहानी क़े अनुरूप हैं.
तकनीकी रूप से लाजवाब यह फ़िल्म पूरे परिवार क़े साथ देखी जानी चाहिए.फ़िल्म क़े विजुअल इतने जबरदस्त है कि यह फ़िल्म आपको ना सिर्फ एक अलग दुनिया दिखाती है बल्कि आपका उसको हिस्सा भी बनाती है.