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Bell Bottom Movie Review: मनोरंजन के लिए एकदम फिट है ये बेलबॉटम, पढ़ें पूरा रिव्यू

अभिनेता अक्षय कुमार पिछले कुछ समय से लगातार असल जिंदगी पर आधारित कहानियों और अनसंग हीरोज को रुपहले परदे पर जीवंत करते आ रहे हैं. फ़िल्म बेल बॉटम भी इसी की अगली कड़ी है.

फ़िल्म- बेलबॉटम

निर्माता- वाशु भगनानी

निर्देशक रंजीत तिवारी

कलाकार- लारा दत्ता, वाणी कपूर,हुमा कुरैशी,अक्षय कुमार,अनिरुद्ध दवे, आदिल हुसैन ,जैनऔर अन्य

रेटिंग- तीन

Bell Bottom Movie Review: अभिनेता अक्षय कुमार पिछले कुछ समय से लगातार असल जिंदगी पर आधारित कहानियों और अनसंग हीरोज को रुपहले परदे पर जीवंत करते आ रहे हैं. फ़िल्म बेल बॉटम भी इसी की अगली कड़ी है. विषय के अलावा फ़िल्म इसलिए और खास हो गयी है क्योंकि बेल बॉटम को थिएटर्स में रिलीज का वादा मेकर्स ने निभाया है. वो भी महाराष्ट्र जैसे बड़े सेन्टर में सिनेमाघरों के बन्द होने के बावजूद.

फ़िल्म पर आते हैं तो यह फ़िल्म 70 और 80 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है. देश में आतंकवाद अपनी जड़ें जमाना शुरू कर चुका था. जिसको पाकिस्तान का पूरा समर्थन मिल रहा था क्योंकि वह बांग्लादेश की हार का बदला चाहता है. भारत लगातार विमान अपहरण से जूझ रहा था. पिछले पांच सालों में पांच विमान अपहरण हो चुके हैं. हर बार भारत अपने लोगों को बचाने के लिए हाईजैकर्स की सारी शर्तें मान ले रहा है. 1984 में भी एक और प्लेन हाईजैकिंग होती है लेकिन इस बार एक रॉ एजेंट जिसका कोड नेम बेल बॉटम (अक्षय कुमार) है वो अपहर्ताओं से वार्ता के बजाय उनसे विमान मुक्त कराने का मिशन सरकार के सामने रखता है.

उस वक़्त की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस मिशन के लिए राजी हो जाती है लेकिन बेल बॉटम को इस मिशन के लिए 12 घंटे से भी कम समय मिलता है. ऐसे में क्या वह किसी और सरजमीं पर आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा 120 भारतीय यात्रियों को सही सलामत भारत लाया पाएगा. ये फ़िल्म इसी कहानी पर आधारित है. फ़िल्म में एक दो सब प्लॉट्स और भी हैं लेकिन कहानी की अहम धुरी विमान अपहरण ही है.

दो घंटे पांच मिनट की इस फ़िल्म में फर्स्ट हाफ में कहानी को स्थापित करने में ज़्यादा समय चला गया है. कहानी अतीत और वर्तमान में बार बार आती जाती रहती है. जिससे कई बार थोड़ा कन्फ्यूजन भी होता लेकिन फ़िल्म सेकेंड हाफ से रफ्तार पकड़ती है खासकर आखिरी के 45 मिनट फ़िल्म आपको पूरी तरह से बांधे रखती है. आप अपना ध्यान एक मिनट भी स्क्रीन से नहीं हटाना चाहेंगे. फ़िल्म की कहानी में सस्पेंस हैं लेकिन इस जॉनर की फिल्में लगातार बन रही हैं. ऐसे में सस्पेंस आपको मालूम पड़ ही जाता है इसके बावजूद फ़िल्म रोमांचक और मनोरंजक साबित होती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

अभिनय की बात करें तो फ़िल्म में अक्षय कुमार के नाम से पहले अभिनेत्रियों के नाम क्रेडिट्स में नज़र आए हैं. फ़िल्म में तीन अभिनेत्रियां हैं लारा दत्ता, वाणी कपूर और हुमा कुरैशी. इन तीनों में लारा के हाथ बाज़ी लगी है. स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लुक में वह फ़िल्म के ट्रेलर लॉन्च के साथ ही वाहवाही बटोर चुकी थी. अब जिस शिद्दत के साथ उन्होंने इस किरदार को अपने अभिनय से जिया है. उसके लिए भी उनकी जमकर प्रशंसा होनी चाहिए. ये भूमिका लारा के अभिनय करियर को एक नयी उड़ान देगा. ये तय है. हुमा के पास ज़्यादा कुछ करने को नहीं था. वाणी ने फ़िल्म में ग्लैमर पोर्शन का जिम्मा संभाला है. अक्षय कुमार का स्टाइलिश स्पाई का अंदाज़ नया नहीं है लेकिन अपने वन लाइन ह्यूमर और एक्शन के ज़रिए एक बार फिर इसे खास बना दिया है. आदिल हुसैन, जैन खान के साथ बाकी कलाकार भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करने में कामयाब रहे हैं.

फ़िल्म गीत संगीत कमज़ोर रह गया है. एक भी गाना याद नहीं रह जाता है. फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक ज़रूर अच्छा बन पड़ा है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है खासकर क्लाइमेक्स वाला दृश्य. थ्री डी अनुभव इसको रोचक बनाता है. फ़िल्म 70 और 80 के दशक पर आधारित है लेकिन वाणी के किरदार के कपड़े से लेकर हेयर स्टाइल में आज की मॉडर्न लड़कियों की झलक ज़्यादा नज़र आईं है. ये बात अखरती है. फ़िल्म के संवाद कहानी के अनुरूप हैं. देशभक्ति की फ़िल्म होने के बावजूद भारी भरकम संवादों से बचा गया है. ये फ़िल्म का अच्छा पहलू है.

कुलमिलाकर अगर अक्षय कुमार के आप प्रसंशक हैं असल घटनाओं पर आधारित फिल्में आपको लुभाती रही हैं तो बेल बॉटम एकदम फिट बैठती है आपके मनोरंजन के लिए.

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