13.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Dasvi Film Review: अभिषेक बच्चन की फिल्म दसवीं मेरिट नहीं ग्रेस मार्क्स से पास होती है, पढ़ें पूरा रिव्यू

Dasvi Film Review in Hindi: मुख्यमंत्री गंगाराम चौधरी (अभिषेक बच्चन) शिक्षा घोटाले में आरोपी तय होते हैं और न्यायिक हिरासत में भेज दिए जाते हैं और जैसा कि राजनीति में होता आया है. वह जाते जाते अपनी घरेलू पत्नी विमला देवी (निमरत कौर) को मुख्यमंत्री को सत्ता की बागडोर सौंप जाते हैं.

  • फ़िल्म: दसवीं

  • निर्माता: मैडॉक फिल्म्स

  • निर्देशक: तुषार जलोटा

  • कलाकार: अभिषेक बच्चन,निमरत कौर, यामी गौतम धर, मनु ऋषि, अरुण कुशवाहऔर अन्य

  • प्लेटफार्म: जिओ सिनेमा और नेटफ्लिक्स

  • रेटिंग: {2.5/5}

Dasvi Film Review in Hindi: अंग्रेज़ी मीडियम, हिंदी मीडियम के बाद मैडॉक फिल्म्स दसवीं लेकर आए हैं. इस बार भी उन्होंने शिक्षा के मुद्दे को उठाया है लेकिन उसे राजनीति से जोड़ दिया है. राजनेताओं की शैक्षणिक योग्यता होनी जरूरी है. यह मुद्दा हमेशा बहस का विषय रहता है. इसी मुद्दे को यह फ़िल्म व्यंग्यात्मक तरीके से छूती है लेकिन पटकथा की खामियों की वजह से यह फ़िल्म विषय के साथ सशक्त ढंग से न्याय नहीं कर पायी है.

मुख्यमंत्री गंगाराम चौधरी (अभिषेक बच्चन) शिक्षा घोटाले में आरोपी तय होते हैं और न्यायिक हिरासत में भेज दिए जाते हैं और जैसा कि राजनीति में होता आया है. वह जाते जाते अपनी घरेलू पत्नी विमला देवी (निमरत कौर) को मुख्यमंत्री को सत्ता की बागडोर सौंप जाते हैं. जेल में बैठे बैठे भी तो सरकारें चलायी जाती हैं,ये सोच गंगाराम चौधरी की भी है. शुरुआत में गंगाराम अपनी इस सोच को सही भी साबित कर देता है लेकिन फिर जेल की नयी सुपरिडेंट ज्योति (यामी गौतम धर) की एंट्री होती है और गंगाराम की ज़िंदगी में मुसीबतों की भी एंट्री हो जाती है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि अपने आत्मसम्मान के लिए गंगाराम जेल में रहते हुए अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी करने का फैसला करता है और ये ऐलान भी करता है कि वह अगर दसवीं पास नहीं हो पाया तो वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कभी नहीं बैठेगा. उसकी पत्नी बिमला देवी भी यही चाहती है कि अब चाहे कुछ भी हो गंगाराम मुख्यमंत्री ना बनें क्योंकि उसे अब सत्ता का लालच है. क्या गंगाराम दसवीं पास कर पाएगा. उसकी पत्नी बिमला देवी उसे मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस करेगी ये सब सवालों के जवाब फ़िल्म आगे देती है.

फ़िल्म के विषय और उससे जुड़ी नेक नीयत के लिए पूरी टीम को बधाई है. यह फ़िल्म बताती है कि शिक्षा किसी की सोच और समझ को किस तरह से बेहतर बनाती है. फ़िल्म में इतिहास, मैथ्स,हिंदी के विषय को समझाने के लिए रोचक ढंग अपनाया गया है. जो उन दृश्यों को खास बनाता है।फ़िल्म सरसरी तौर पर ही सही खाप पंचायत, ओनर किलिंग,जातिगत व्यवस्था, जाति के आधार पर वोट इन सब मुद्दों को भी छूती है. हालांकि फिल्म की कहानी फिक्शनल है लेकिन देखते हुए लालू राबड़ी देवी से लेकर ओम प्रकाश चौटाला के जेल में रहकर दसवीं की पढ़ाई पूरे करने के रियल घटनाएं फ़िल्म से मेल खाती नज़र आती हैं.

Also Read: अमिताभ बच्चन ने बेटे अभिषेक की ‘दसवीं’ को प्रमोट करने पर ट्रोल करने वालों को दिया जवाब,बोले-क्या कर लोगे?

खामियों की बात करें तो कमज़ोर पटकथा सशक्त विषय के साथ न्याय नहीं करने दे पायी है.फ़िल्म की खामी इसकी पटकथा है. ट्विस्ट एंड टर्न की भारी कमी है. फ़िल्म जब शुरू होती है दर्शक को आनेवाले सभी घटनाक्रम समझ आने लगते हैं. यही फ़िल्म की सबसे बड़ी खामी है. दर्शकों को आगे क्या होगा वाला रोमांच यह फ़िल्म नहीं दे पायी है. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ खिंचा हुआ है. सेकंड हाफ में कहानी रफ्तार पकड़ती है. फ़िल्म का ट्रीटमेंट चुटीला है लेकिन कॉमेडी की कमी खलती है.

अभिनय की बात करें अभिषेक बच्चन ने अपने किरदार के रुतबे और रुबाब को बखूबी जिया है. किरदार के लिए बॉडी लैंग्वेज से लेकर भाषा तक में उनकी मेहनत साफ तौर पर नज़र आयी है. यामी गौतम भी अपनी भूमिका में जमी हैं लेकिन याद रह जाती हैं अभिनेत्री निमरत कौर. उनके किरदार में कई लेयर्स हैं। जिन्हें उन्होंने बखूबी जिया है. बाकी की सपोर्टिंग कास्ट अच्छी रही है. गीत संगीत की बात करें तो मचा मचा गीत के अलावा कोई दूसरा गीत याद नहीं रह जाता है. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी कहानी के अनुरूप हैं. संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

कुलमिलाकर दसवीं मेरिट नहीं ग्रेस मार्क्स से पास होती है लेकिन विषय की वजह से यह फ़िल्म सभी को देखनी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें