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HIT: The First Case Movie Review- राजकुमार राव और सान्या मल्होत्रा की फिल्म से ये चीज है मिस

साउथ फिल्मों की लंबी रिमेक की कड़ी में हिट भी अगला नाम है.यह फ़िल्म दो साल पहले आयी तेलगु फ़िल्म का हिंदी रिमेक है. इस ट्रेंड के अलावा इस फ़िल्म में एक नए ट्रेंड को भी शामिल किया गया है.तेलगु फ़िल्म के निर्देशक शैलेश कोलानू ने इस हिंदी रीमेक की जिम्मेदारी को भी निभाया है.

फ़िल्म- हिट द फर्स्ट केस रिव्यू

निर्माता- टी सीरीज और दिल राजू प्रोडक्शन

निर्देशक-शैलेश कोलानू

कलाकार- राजकुमार राव,सान्या मल्होत्रा, जतिन गोस्वामी,मिलिंद गुणाजी,शिल्पा शुक्ला,दिलीप ताहिल,संजय नार्वेकर और अन्य

रेटिंग-ढाई

साउथ फिल्मों की लंबी रिमेक की कड़ी में हिट भी अगला नाम है.यह फ़िल्म दो साल पहले आयी तेलगु फ़िल्म का हिंदी रिमेक है. इस ट्रेंड के अलावा इस फ़िल्म में एक नए ट्रेंड को भी शामिल किया गया है.तेलगु फ़िल्म के निर्देशक शैलेश कोलानू ने इस हिंदी रीमेक की जिम्मेदारी को भी निभाया है.

मर्डर मिस्ट्री वाली ये है कहानी

फ़िल्म की शुरुआत ही इसी से होती है कि अपना हीरो एक काबिल ऑफिसर विक्रम(राजकुमार राव) है.जो होमिसिड इंटरवेंशन टीम (इसी का शॉर्ट फॉर्म हिट है) के लिए काम करता है और मुश्किल से मुश्किल केस चुटकियों में सुलझा देता है. वह अपने अतीत की एक बुरी घटना से जूझ रहा है. उसका काम ही उसे थोड़ी राहत देता है,लेकिन डॉक्टर की मानें तो वह अपने जॉब के लिए अनफिट है. जिस वजह से उसे दो महीने की छुट्टी पर जाना पड़ता है.उसके बाद दो लड़कियां अचानक से शहर से लापता हो जाती हैं,जिनमें एक विक्रम की प्रेमिका नेहा (सान्या मल्होत्रा) भी है. दोनों लड़कियों के गायब होने के पीछे का कनेक्शन क्या एक है.क्या विक्रम इस कनेक्शन का पता लगाकर अपनी प्रेमिका को बचा पाएगा.फ़िल्म की आगे की कहानी यही है.

यहां हो गयी चूक

स्क्रीनप्ले में एक के बाद एक ट्विस्ट आते रहते हैं.आप कुछ आगे सोचते इससे पहले एक नया ट्विस्ट कहानी में हाज़िर है.परदे पर सबकुछ बहुत ही रफ्तार में चल रहा है यह सब फ़िल्म से आपकी उम्मीद को बढ़ाते हैं,लेकिन फ़िल्म के अंत में जब मर्डर और उससे जुड़ा मकसद सामने आता है,तो फ़िल्म पूरी तरह से औंधे मुंह गिर जाती है.कुछ भी तार्किक नहीं लगता है. सब थोपा हुआ सा लगता है. पुलिस ऑफिसर होते हुए भी हादसे में हुए एक मौत के लिए क्रिमिनल जैसा कदम उठाना .इस बात को भी स्क्रीनप्ले में स्थापित नहीं किया गया है. शिल्पा शुक्ला का किरदार फ़िल्म में कहता है कि उसने अटेंशन पाने के लिए झूठ बोला था,लेकिन उसे कैसे पता था कि लाश कोलार ग्राउंड में है.नार्को टेस्ट में नेहा का नाम क्यों उसने लिया था.ये सब बातें स्क्रीनप्ले से गायब हैं.

यूएसपी है राजकुमार राव का अभिनय

इस फ़िल्म के अभिनय पहलुओं की बात करें,तो राजकुमार राव का अभिनय इसकी खासियत है.अपने किरदार से जुड़े दर्द,डर, गुस्से सहित हर संवेदना को कहानी में बखूबी दर्शाया है.स्क्रिप्ट की खामियों के बावजूद यह राजकुमार का अभिनय है,जो आपको जोड़े रखता है. सान्या मल्होत्रा एक बेहतरीन उम्दा कलाकार हैं,अपनी ओटीटी प्रोजेक्ट्स में उन्होंने यह बात बखूबी साबित की है. ऐसे किरदार करने से उन्हें अब बचना चाहिए.फ़िल्म में उनके करने को कुछ खास नहीं था. शिल्पा शुक्ला जैसी सक्षम कलाकार को भी कहानी में व्यर्थ किया गया है. जतिन गोस्वामी और दिलीप ताहिल अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते हैं.बाकी के किरदारों का काम ठीक -ठाक है.

ये पक्ष बन पड़े हैं अच्छे

फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है.दृश्यों में लाइट्स का संयोजन बखूबी है. फ़िल्म के संवाद कहानी के अनुरूप हैं.बैकग्राउंड स्कोर अच्छा बन पड़ा है.

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