फ़िल्म-लाल सिंह चड्ढा
निर्माता-आमिर खान फिल्म्स
निर्देशक-अद्वैत चंदन
कलाकार-आमिर खान,करीना कपूर खान,मानव विज,मोना सिंह, नागा चैतन्य और अन्य
प्लेफॉर्म- सिनेमाघर
रेटिंग-तीन
Laal Singh Chaddha Review: अभिनेता और निर्माता आमिर खान की ड्रीम प्रोजेक्ट फ़िल्म लाल सिंह चड्ढा ने आखिरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे दिया है. आमिर इस फ़िल्म की शूटिंग पिछले चार सालों से कर रहे हैं जबकि फ़िल्म की स्क्रिप्ट 14 साल पहले लिखी जा चुकी है,10 साल फ़िल्म के राइट्स हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गम्प से लेने में लेने चले गए. कुलमिलाकर लाल सिंह चड्ढा मेहनत से बनी फिल्म है. जो सभी को देखनी चाहिए.
साधारण इंसान की असाधारण कहानी
ऑस्कर प्राप्त फ़िल्म फॉरेस्ट गम्प की यह फ़िल्म आधिकारिक रीमेक है. कहानी वही है लेकिन भारतीय संस्कृति और इतिहास को जिस तरह से कहानी में जोड़ा गया है. वह फ़िल्म में नएपन को लेकर आया है. यह पठानकोट में रहने वाले लाल सिंह चड्ढा (आमिर खान) की कहानी है. लाल चल नहीं पाता है, कोई भी बात उसे देर से समझ आती है. लोगों को जब अपने से अलग कोई दिखता है तो उसे कमतर मानने लगते हैं, लेकिन उसकी मां उसे किसी से कमतर नहीं मानती है. वह लाल को कहती है कि वह जो चाहता है. वह कर सकता है. वह वैसा ही करता भी है,लेकिन अपने तरीके से. किस तरह से वह अपने आसपास के लोगों की ज़िंदगी और सोच को बदलता है. यह फ़िल्म इसके साथ साथ उसके प्यार की भी जर्नी है. जो सरल कहानी को पूरी तरह से इमोशनल बना गया है. बीच-बीच में हल्के फुल्के पल भी हैं. जो होठों पर हंसी भी ले आते हैं.
स्क्रिप्ट की खूबियों की बात करें तो लाल सिंह चड्ढा में आज़ादी के बाद भारत देश में हुई हर बड़ी घटना को खुद में समेटा है, इमरजेंसी से लेकर मोदी की सरकार बनने तक ,लेकिन वह किसी भी घटनाक्रम पर अपनी राय नहीं थोपती हैं कि यह अच्छा है या बुरा. कोई बहसबाज़ी भी नहीं है. मौजूदा दौर में हर छोटी बात का सोशल मीडिया पर जिस तरह से लोगों के बीच बतंगड़ बनता है. ऐसे में फ़िल्म के नायक का बड़ी घटनाओं के इर्द गिर्द होने के बावजूद उसका बेफिक्री वाला अंदाज़ किरदार को ना सिर्फ खास बनाता है बल्कि कुछ सोचने को भी मजबूर करता है. इसके साथ ही आमतौर पर जिन किरदारों को सिनेमा और समाज में ग्रे कहा जाता है ,जैसे मानव विज का किरदार हो या करीना कपूर का मोनिका बेदी से प्रेरित किरदार सभी को पूरी संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया है. खामियों की बात करें तो फ़िल्म थोड़ी लंबी हो गयी है खासकर फर्स्ट हाफ में दूसरे हाफ में कहानी गति के साथ आगे बढ़ती है.
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अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म आमिर खान की है,उन्होंने अपने किरदार पर बहुत मेहनत भी की है. वे स्क्रीन पर काफी अलहदा अंदाज़ में नज़र भी आए हैं,लेकिन कहीं ना कहीं उनके किरदार को देखते हुए आपको धूम 3 में आमिर खान के दूसरी वाली भूमिका और पीके की छाप दिख ही जाती है. करीना कपूर खान का किरदार कहानी का अहम आधार है. जिसे उन्होंने अपने उम्दा अभिनय से मजबूत बनाया है. वे रूपा के किरदार की ख्वाहिश,असुरक्षा की भावना,बचपन के दर्द के साथ बखूबी छाप छोड़ती हैं. इस फ़िल्म में उन्होंने अपना बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है. मानव विज, और मोना सिंह ने भी इस फ़िल्म में यादगार परफॉरमेंस दी है. नागा चैतन्य भी अच्छे रहे हैं.
फ़िल्म के सिनेमेटोग्राफी उम्दा रही है. फ़िल्म का हर फ्रेम आपको फ़िल्म के और करीब ले जाता है फिर चाहे लद्दाख,कन्याकुमारी, दिल्ली के खूबसूरत लोकेशन्स हो या फिर लाल का घर और उसके आसपास की दुनिया. फ़िल्म में भारतीय इतिहास की घटनाओं का समावेश वीएफएक्स के माध्यम से बखूबी किया गया है. ऑपेरशन ब्लू स्टार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या, बाबरी मस्जिद विध्वंस,26/11 के विजुअल्स को कहानी में जोड़ा गया है. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं. गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है.
देखें या ना देखें
कुलमिलाकर यह फ़िल्म फ़िल्म सभी को देखनी चाहिए.