14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Mission Raniganj Movie Review: हौंसले और जज्बे की ये सच्ची कहानी.. एक बार जरूर देखी जानी चाहिए

Mission Raniganj Movie Review: 'मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म की कहानी है कि कैसे अतिरिक्त मुख्य खनन अभियंता, जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक घातक बाढ़ वाली कोयला खदान से 65 खनिकों को बचाया था. आइये जानते हैं इसका रिव्यू...

फ़िल्म- मिशन रानीगंज

निर्देशक- टीनू सुरेश देसाई

कलाकार- अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, दिब्येंदु भट्टाचार्य, कुमुद मिश्रा, जमील खान, रवि किशन, पवन मल्होत्रा, राजेश शर्मा, वीरेंद्र सक्सेना, सुधीर पांडे, शिशिर शर्मा और अन्य

प्लेटफार्म- सिनेमाघर

रेटिंग- ढाई

रूपहले पर्दे पर असल जिंदगी के नायकों और उनसे जुड़ी कहानियां को दिखाने में अक्षय कुमार का कोई सानी नहीं है. इस बार वह दिवंगत माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की कहानी को पर्दे पर लेकर आए हैं, जिन्होंने भारत के पहले कोयला खदान बचाव मिशन को रानीगंज में अंजाम दिया था, जिसमें उन्होंने कोयला खदान में काम करने वाले 65 मजदूरों की जान बचाई थी. उनके वीरतापूर्ण कार्य को रुपहले पर्दे पर लाने के लिए इस फिल्म के निर्माता बधाई के पात्र हैं, लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि ये फिल्म बहुत ही कमतर संसाधनों के साथ बनायी गई है, जो असल हीरो की इस कहानी के साथ प्रभावी तरह से न्याय नहीं कर पाई है. यह एक बार देखी जाने वाली फिल्म बनकर रह जाती है.

65 मजदूरों के रेस्क्यू मिशन की सच्ची कहानी

फिल्म की कहानी 1989 के कालखंड की है. कोयला खदान जब आर्थिक व्यवस्था का अहम हिस्सा होता था, लेकिन उसमें काम करने वालों की जिंदगी की अहमियत नहीं थी. वे जान को हथेली में रखकर कोयला खदानों में उतरते थे, ऐसे ही एक दिन रानीगंज के कोयला खदानों से कोयला निकालने के लिए खदान की दीवारों पर विस्फोट करते समय एक वाटरगेट टूट जाता है, जिससे खदान में तेज बहाव के पानी भरने लगता है और वहां काम करने वाले 65 खनिकों की जान जोखिम में पड़ जाती है. प्रबंधन को लगता है कि सारे मजदूर अब तक मर चुके होंगे, लेकिन जसवन्त सिंह गिल (अक्षय कुमार) को सभी के बचने की उम्मीद है, वह सिस्टम और कुछ भ्रष्ट लोगो के खिलाफ जाकर इस रेस्क्यू मिशन को अंजाम देना .यह उसी की कहानी है, जसवंत सिंह गिल के साथ कुछ लोग हैं, जिन्हे गिल पर भरोसा है.वह इस मुश्किल वक्त में उसके साथ हैं .कुछ लोग गिल के खिलाफ हैं, क्या इस मिशन को वे पूरा होने देंगे. क्या ये मिशन पूरा हो पाएगा यहीं आगे की कहानी है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

यह एक ज़रूरी कहानी है, जो उस इंसानी जज्बे को सलाम करती है,जो सिर्फ अपनो के लिए ही नहीं बल्कि औरों के लिए भी जीने के साथ-साथ मरने के लिए तैयार है.जो इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है. रेस अगेंस्ट टाइम में सेट यह फिल्म फर्स्ट हाफ में सिर्फ किरदारों और हालात को स्थापित करने में रह जाती है सेकंड हाफ में कहानी तेजी पकड़ती है और रोमांच बढ़ता है, ख़ामियों की बात करें तो फिल्म अक्षय कुमार के किरदार के संघर्ष पर ज्यादा फोकस करती है मजदूरों के खुद को बचाए रखने के संघर्ष पर कम ध्यान कहानी में दिया गया है. फिल्म में मजदूरों और उनके परिवार पर भी फोकस नहीं किया गया है .यह बात अख़रती है .स्क्रीनप्ले की ये खूबियां नजरंदाज हो सकती हैं, लेकिन वीएफएक्स की नहीं. फिल्म का वीएफएक्स बहुत कमजोर है, जिसके रेस्क्यू मिशन का एक भी दृश्य प्रभाव नहीं बन पाया है. दृश्य अलग-अलग जगह शूट हुए हैं और बैकग्राउंड की जगह अलग है. यह साफ तौर पर समझ आता है. ये इमोशनल कहानी कई स्थानों पर लाउड भी हो गई है.

Also Read: Mission Raniganj Review: रेस्क्यू-थ्रिलर में जसवंत सिंह बनकर चमके अक्षय कुमार, अंत तक बांधे रखेगी प्रेरक कहानी
अक्षय चित परिचित अंदाज़ में

अभिनय की बात करे अक्षय ने अपने किरदार को चित परिचित अंदाज़ में निभाया है लेकिन अपने लुक में वह एक बार फिर उन्नीस रह गए हैं. उनकी दाढ़ी नकली लगती है. अक्षय के बाद जिस किरदार को पर्दे पर महतव मिला है वह जमील खान हैं. वे अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं. पवन मल्होत्रा ​ का काम भी अच्छा है. कुमुद मिश्रा जैसा समर्थ कलाकार को मूवी में बस चेन स्मोकर के तौर पर दिखाया गया है. यह बात अजीब लगती है. रवि किशन, दिब्येंदु साहित बाकी के कलाकारों के लिए कुछ खास नहीं था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें