18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

RRR Movie Review: सिनेमा के जादुई अनुभव का एहसास करवाती है आरआरआर

RRR Movie Review: इस साल की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म एस एस राजामौली की आरआरआर आखिकरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. राजामौली का नाम फ़िल्म से जुड़ा होने की वजह से इस फ़िल्म से उम्मीदें बड़ी थी और वह इस पर खरे भी उतरे हैं.

फ़िल्म आरआरआर

  • निर्देशक: एस एस राजामौली

  • कलाकार: रामचरण तेजा,एनटीआर,आलिया भट्ट,अजय देवगन,मकरंद देशपांडे और अन्य

  • प्लेटफार्म: सिनेमाघर

  • रेटिंग: साढ़े तीन {3.5/5}

RRR Movie Review: इस साल की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म एस एस राजामौली की आरआरआर आखिकरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. राजामौली का नाम फ़िल्म से जुड़ा होने की वजह से इस फ़िल्म से उम्मीदें बड़ी थी और वह इस पर खरे भी उतरे हैं. हॉलीवुड स्तर की भव्यता और खूबसूरती लिए दोस्ती और देशभक्ति की इस कहानी में ज़्यादा उतार चढ़ाव नहीं है लेकिन वह आपको अन्त तक बांधे रखती है. यह राजामौली के निर्देशन का ही जादू है. जो उन्होंने इस ढंग से कहानी को परदे पर परिभाषित किया है.

फ़िल्म के किरदार असल हैं लेकिन परिस्थितियां काल्पनिक हैं. अल्लूरी सीता रामा राजू और कोमुराम भीम इनदोनों महान क्रांतिकारियों को निर्देशक राजामौली ने अपनी काल्पनिक सोच से एक होकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोहा लेते दिखाया है. जो असल जिंदगी में कभी एक दूसरे से नहीं मिले थे. कहानी 1920 पर आधारित है. जब देश गुलाम था. एक गोंड आदिवासी की बेटी मल्ली को अंग्रेज गुलाम बनाने के लिए लेकर चले जाते हैं. कबीले का मुखिया भीम (एनटीआर) अख्तर के भेष में मल्ली को कबीले में वापस ले जाने के लिए दिल्ली में आता है. वहां उसकी मुलाकात राजू (राम चरण) से होती है. जो ब्रिटिश साम्राज्य में एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम करता है,उसके पीछे उसका एक बड़ा मकसद है. उस मकसद को पाने के लिए उसे भीम को ब्रिटिश सरकार के हवाले करना होगा लेकिन अंजाने में उसकी दोस्ती भीम बनें अख्तर से ही हो जाती है.

राजू को जब पता चलेगा कि वह अपने सबसे अच्छे दोस्त की ही तलाश कर रहा है, क्या करेगा? क्या है राजू की बैक स्टोरी और भीम क्या मल्ली को वापस ले जा पाएगा. इन सभी सवालों के जवाब फ़िल्म की आगे की कहानी देती है.

Also Read: RRR First Movie Review: राजामौली की ‘आरआरआर’ का बॉक्स ऑफिस पर चलेगा जादू? यूजर्स बोले- मास्टरपीस

फ़िल्म का फर्स्ट हाफ बहुत ही एंगेजिंग और एंटरटेनिंग है. फ़िल्म में जिस तरह से राजामौली ने किरदारों को गढ़ा है. वो उनकी सोच को दर्शाता है. देशभक्ति से लबरेज इस फ़िल्म में अंग्रेजों के खिलाफ खून भी खौलता है और गुस्सा भी आता है लेकिन सभी ब्रिटिश बुरे नहीं थे फ़िल्म यह दिखाने से भी नहीं चूकती हैं. हिन्दू मुस्लिम की कौमी एकता को भी फ़िल्म में बखूबी दर्शाया गया है। राजामौली का पौराणिक कहानियों से लगाव भी दिखा है. राम के प्रसंग को फ़िल्म के क्लाइमेक्स में बहुत खूबी से जोड़ा गया है. फ़िल्म के आखिर में देश के महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि भी दी गयी है.

फ़िल्म में आग और पानी के मेल को जिस बखूबी से किरदारों और सिचुएशन में दिखाया गया है।वह काबिले तारीफ है. इंटरवल फ़िल्म को जबरदस्त ऊंचाई दे गया है। जो आपको जल्द से जल्द सीट पर लौटने को मजबूर करता है. इंटरवल के बाद कहानी खींच गयी है. कहानी में ट्विस्ट एंड टर्न की कमी खली है. रामचरण तेजा के किरदार का मकसद क्या है. वो भी फ़िल्म शुरू होने के 20 मिनट बाद मालूम पड़ जाता है. फ़िल्म की कहानी में लेयर्स नहीं है. काफी दोहराव हुआ है. कई दृश्य विश्वसनीय भी नहीं लगते हैं. कहानी में थोड़ा और काम करने की ज़रूरत है.

फ़िल्म के स्केल और इंटेंसिटी की तारीफ करनी होगी. फ़िल्म की कहानी कमज़ोर रह गयी है लेकिन इसका विजुवल इफेक्ट्स और एक्शन एक ट्रीट की तरह है. यह फ़िल्म सिनेमाघरों में देखने के लिए है. जो दर्शकों को एक अलग ही अनुभव से जोड़ती है. एनटीआर और राम चरण तेजा के इंट्रोडक्शन सीन्स को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है. पानी में बच्चे को बचाने वाला सीन भी काफी जानदार बन गया है. नाचो नाचो गीत का पिक्चराइजेशन उम्दा है. फ़िल्म का प्री क्लाइमेक्स खास है.

अभिनय की बात करें तो रामचरण तेजा और एनटीआर दोनों ने कमाल का परफॉर्मेंस दिया है. वे दोनों ही अपने जबरदस्त अभिनय और स्क्रीन प्रजेंस से फ़िल्म में लार्जर देन लाइफ वाला अनुभव क्रिएट कर दिया है. अजय देवगन सीमित स्क्रीन स्पेस में भी अपनी छाप छोड़ गए हैं. आलिया फ़िल्म में अच्छी लगी हैं लेकिन फ़िल्म में उनके करने के लिए कुछ खास नहीं था. आज़ादी की लड़ाई में महिलाओं का भी खासा योगदान रहा है. राजामौली अपनी इस कहानी में उसे आलिया,श्रेया सहित दूसरी महिला किरदारों से दर्शा सकते थे. आमतौर पर राजामौली की फिल्मों में महिला पात्र बहुत सशक्त रही हैं लेकिन इसफिल्म में उन्हें ज़्यादा मौका नहीं मिल पाया है. बाकी के किरदारों ने भी अपन काम बखूबी निभाया है. फ़िल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया है. संवाद किरदारों के साथ बखूबी न्याय करते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें