MP News: देश में बेरोजगारी अभी भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. मध्य प्रदेश में तो बेरोजगारी चरम पर है. फाइलों में रोजगार की कितनी बात हो जाये धरातल पर ये हाल है कि छोटी सी भर्ती के लिए भी लाखों उम्मीदवारों की अर्जी आ जाती है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि मध्यप्रदेश में रोजगार कार्यालयों को चलाने में करोड़ों खर्च करने के बाद भी नतीजे सिफर हो रहे हैं.
21 लोगों की नौकरी के लिए करोड़ों खर्च: एनडीटीवी की रिपोर्ट में सामने आया है कि राज्य में 1 अप्रैल 2020 से रोजगार दफ्तरों को चलाने में 16.74 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इन दफ्तरों में 37,80,679 शिक्षित और 1,12,470 अशिक्षित आवेदकों ने पंजीकरण करवाया है लेकिन सरकारी नौकरी सिर्फ 21 उम्मीदवारों को ही मिली है. यानी एक सरकारी नौकरी के लिये सरकार ने लगभग 80 लाख रुपये खर्च किए हैं. प्रदेश सरकार ने खुद इसका जवाब सदन में दिया है.
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना: प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के कामकाज पर विपक्ष ने निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा है कि मौजूदा सरकार सिर्फ पैसों की बर्बादी कर रही है. विपक्ष का कहना है कि सरकार उधार लेकर घी पीने का काम कर रही है. सरकार पूरी तरह विफल रही है. पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि सरकार रोजगार दे रही है जांच करा लें.
इसी साल हो रहा है एमपी में चुनाव: गौरतलब है कि इसी साल के अंत में मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हो सकती है. कांग्रेस प्रदेश में रोजगार का मुद्दा उठा सकती है. हालांकि चुनाव को लेकर बीजेपी ने भी तैयारी शुरू कर दी है. महिला वोटरों को लुभाने के लिए प्रदेश सरकार ने लाडली लक्ष्मी योजना को जोर शोर से लागू किया है.
वहीं, आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए जनजातीय नायकों की प्रतिमा स्थापना, मंदिरों का पुनर्निर्माण के लिए करोड़ों खर्च किया जा रहा है. बहरहाल सरकार वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुटी है तो वहीं विपक्ष भी मुद्दों को भुनाने में लगा है. ऐसे में विधानसभा चुनाव में बाजी कौन मारेगा ये तो आने वाले समय में ही साफ हो पाएगा.