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प्रोजेक्ट चीता को झटकाः कूनो में मृत पाया गया ‘सूरज’, 4 महीनों में गई 8वें चीते की जान

आज यानी शुक्रवार को एक और नर चीते ने दम तोड़ दिया. चीता सूरज वन्य कर्मियों को मृत हालत में मिला था. उसकी मौत कैसे हुई यह अभी पता नहीं चल पाया है. हालांकि चीता सूरज की मौत के कारणों की जांच हो रही है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कारणों का पता नहीं चल पाया है.

Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है. मरने वाले चीते का नाम सूरज था. आज यानी शुक्रवार को सुबह इनक्लोजर के बाहर चीता सूरज मृत मिला. गौरतलब है एक हफ्ते के अंदर कूनो में मरने वाला ये दूसरा चीता था. इससे पहले 11 जुलाई को चीता तेजस वन्य कर्मियों को घायल अवस्था में मिला था. हालांकि वन्यकर्मियों ने चीते को बचाने का पूरा प्रयास किया, उसका इलाज कराया गया, लेकिन चीता तेजस को नहीं बचाया जा सका. गौरतलब है कि मार्च महीने से लेकर अब तक कूनो में 7 चीतों की मौत हो चुकी है. वहीं सूरज की मौत के बाद कूनो में अब 3 चीते और 3 शावक बचे हैं.

कैसे हुई चीता सूरज की मौत
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आज यानी शुक्रवार को एक और नर चीते ने दम तोड़ दिया. चीता सूरज वन्य कर्मियों को मृत हालत में मिला था. उसकी मौत कैसे हुई यह अभी पता नहीं चल पाया है. हालांकि चीता सूरज की मौत के कारणों की जांच हो रही है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कारणों का पता नहीं चल पाया है. कूनो में चीता अभियान को शुरुआत से ही झटका लग रहा है. बीते चार महीने में पार्क में मरने वाला यह 8वां चीता था. सूरज को लेकर कूनो में पांच वयस्क और तीन शावक चीतों की अबतक मौत हो चुकी है.

घंटों बेहोश रहने के बाद तेजस ने तोड़ा था दम
बता दें कूनो नेशनल पार्क में 11 जुलाई को तेजस नाम के चीते की भी मौत हो गई थी. जब वन्य कर्मियों को तेजस मिला था वो वो बेहोश हालत में था. घंटों बेहोश रहने के बाद चीता तेजस ने अंत में दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है, मॉनिटरिंग टीम को तेजस घायल अवस्था में मिला था, जिसके बाद उसकी इलाज की जा रही थी, लेकिन इलाज के दौरान तेजस की मौत हो गयी.

आंतरिक रूप से कमजोर था तेजस-पोस्टमार्टम रिपोर्ट
इधर नर चीता तेजस की मौत के एक दिन बाद उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई. रिपोर्ट से पता चलता है कि चीता तेजस शारीरिक रूप से काफी कमजोर था. इसी दौरान उसकी एक मादा चीता से भिड़ंत हो गई थी. हिंसक लड़ाई के बाद से ही चीता तेजस सदमे में चला गया था. वहीं, काफी इलाज के बाद भी वो इस सदमे से उबर नहीं पाया, और उसकी मौत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि वो शारीरिक रूप से कमजोर था और उसकी वजन लगभग 43 किलोग्राम ही था. इसके अलावा उसके कई आंतरिक अंग ठीक से काम नहीं कर रहे थे. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का बड़ा कारण सदमा बताया गया है.

नामीबिया से लाये गये थे चीते
गौरतलब है कि भारत से पूरी तरह से चीते खत्म हो गये थे. इसी को देखते हुए देश में चीतों की आबादी को फिर से बसाने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत आठ चीतों को नामीबिया से मध्यप्रदेश के केएनपी लाया गया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को इन्हे विशेष बाड़ों में छोड़ा. इनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल थे. इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते (सात नर और पांच मादा) केएनपी में लाये गये थे. कुल 24 चीतों में से केएनपी में सात चीतों की मौत के बाद चीतों की कुल संख्या अब घटकर 17 हो गई है. इनमें से 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे और चार शावक केएनपी में पैदा हुए थे. धरती से सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर चीते को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.

प्रोजेक्ट चीता को जोरदार झटका

लगातार हो रही चीतों की मौत से जोर शोर से चीतों को देश में फिर से बसाने की योजना के तहत शुरु किए गए प्रोजेक्ट चीता को झटका लगा है. देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के पूर्व डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर वाईवी झाला का चीतों की मौत को लेकर कहना है कि इस कार्यक्रम में चीता की मौत की आशंका थी, लेकिन अधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये मौतें सुरक्षित बाड़े में हुई. सुरक्षित बाड़े से निकलने के बाद चीतों के मरने की आशंका थी, उसके भीतर नहीं. झाला ने कहा कि उन्हें बताया गया कि चीता तेजस की मौत आपसी लड़ाई के कारण हुई है. उन्होंने कहा, मादा चीता की ओर से नर पर हमला करना और उसे मार डालना एक ऐसी घटना है, जिसकी चीता के बाड़े में कहीं से भी खबर नहीं है.

भाषा इनपुट से साभार

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