भोपाल : धान के कटोरे के रूप में विख्यात मध्य प्रदेश के खाद्यान्न उत्पादक किसान शिवराज सिंह सरकार की मुख्यमंत्री किसान योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर होने की दिशा में लगातार आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल करता हुआ किसानों को उन्नति और आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे ले जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2005 से 2018 तक 13 सालों में खेती उत्पादन में वृद्धि, सिंचाई क्षमता में इजाफा, किसानों की आर्थिक उन्नति और उनके सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कदम उठाए. 23 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश की कमान संभालने के बाद कोरोना काल में किसानों को आर्थिक संकट से निकालने की पूरजोर कोशिश की.
खेती को लाभ का व्यवसाय बनाकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है. प्रदेश का किसान सक्षम और प्रगतिशील होगा तो ही प्रदेश विकासशील बन पायेगा. पिछले 2 सालों में शिवराज सरकार ने किसानों को फसल उपार्जन, फसल बीमा, फसल हानि राहत, बिजली सब्सिडी आदि किसानों-कल्याण की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों के खातों में 1.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि डाली है. देश में फसल बीमा की अब तक की सबसे बड़ी राशि भी मध्यप्रदेश के किसानों को फसल बीमा योजना के तहत खातों में डाली गई.
12 फरवरी, 2022 को बैतूल के किसान महासम्मेलन में 49 लाख 85 किसानों के खातों में 7 हजार 618 करोड़ रुपए की फसल बीमा राशि सिंगल क्लिक से भेजी गई थी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राकृतिक आपदाओं से आए संकट के समय किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें संबल दिया है. मुख्यमंत्री ने खराब फसलों का निरीक्षण स्वयं किया, गांव-गांव सर्वे कराये, छुट्टी के दिन भी ऑफिस खुलवाया और पूरी ताकत लगाकर किसान भाई-बहनों को राहत राशि दी. अतिवृष्टि और कीट प्रकोप के संकट की घड़ी में सरकार द्वारा राहत राशि के रूप में लगभग 3 हजार 500 करोड़ रुपये की सहायता किसान भाई-बहनों को दी. इसके साथ ही किसानों को बिजली सब्सिडी और शून्य ब्याज दर पर दो साल में 26 हजार करोड़ के ऋण किसानों को उपलब्ध कराने का काम राज्य की शिवराज सरकार ने किया है.
किसानों की आमदनी बढ़ाने के संकल्प को साकार करने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की तर्ज पर मुख्ममंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने चौथे कार्यकाल में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की शुरुआत भी की. जिसके अंतर्गत प्रदेश के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के 6 हजार रुपये वार्षिक के अतिरिक्ति 04 हजार रुपये प्रदेश सरकार भी दे रही है. इस योजना में पिछले दो सालों में 76 लाख 53 हजार से अधिक किसानों के खातों में 15 हजार करोड़ रुपये की राशि डाली गई है.
प्रदेश के किसानों को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए जो प्रतिबद्धता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिखा रहे हैं, वह संभवत: मध्यप्रदेश में पहले कभी नहीं देखी गई. किसान कल्याण के लिए सरकार की इसी इच्छाशक्ति और किसानों के परिश्रम ने मध्यप्रदेश को कृषि उत्पादन और योजना संचालन में बेहतर प्रदर्शन के लिए 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार दिलाया. कोरोना काल में प्रदेश के 15 लाख 81 हजार किसानों से 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादित कर पंजाब को पछाड़ते हुए गेहूं उपार्जन में मध्यप्रदेश देश में नम्बर 1 राज्य बना. आज प्रदेश का कृषि उत्पादन बढ़कर 6 करोड़ 59 मीट्रिक टन हो गया है, जो वर्ष 2004-05 में मात्र 2 करोड़ 38 लाख मीट्रिक टन था. प्रदेश में 2003 के पहले जिन जमीनों को बंजर कहा जाता था वहां आज फसलें लहलहा रही हैं. पहले जहां फसलें सिंचाई के अभाव में सूख जाती थीं और किसान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते थे वहां आज सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता है. मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज वर्ष 2003 में हमारी सिंचाई क्षमता केवल 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर थी जो आज बढ़कर 43 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गई है. पिछले 2 वर्षो में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर की नई सिंचाई क्षमता विकसित की गई है.
अन्नदाता के कठिन परिश्रम से आज प्रदेश कृषि विकास के क्षेत्र में सर्वोपरि है. प्रदेश आज दलहन-तिलहन के क्षेत्र और उत्पादन में देश में प्रथम है. मध्यप्रदेश सोयाबीन, उड़द के क्षेत्र एवं उत्पादन में देश में प्रथम है. गेहूं, मसूर, मक्का एवं तिल फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है. सम्पूर्ण खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में प्रदेश का देश में तीसरा स्थान है.
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विगत दो सालों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश को जैविक खेती अग्रणी बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि आज प्रदेश में जैविक खेती का कुल क्षेत्र लगभग 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर है जो देश में सर्वाधिक है. जैविक उत्पाद का उत्पादन 14 लाख 2 हजार मी.टन रहा, जो क्षेत्रफल की भाँति ही देश में सर्वाधिक है. शिवराज सिंह चौहान जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को विभिन्न आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण दिलाने का काम भी कर रहे हैं. जैविक खेती को प्रोत्साहन स्वरूप प्रदेश में कुल 17 लाख 31 हजार क्षेत्र हेक्टेयर जैविक प्रमाणिक है, जिसमें से 16 लाख 38 हजार एपीडा से और 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र, पीजीएस से पंजीकृत है. प्रदेश ने पिछले वित्त वर्ष में 2683 करोड़ रुपये के मूल्य के 5 लाख मी टन से अधिक के जैविक उत्पाद निर्यात किये हैं.