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COVID-19 से जंग जीतने वाला सामाजिक बहिष्कार से हारा, लगाया ‘मकान बिकाऊ है’ का बोर्ड

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शिवपुरी (Shivpuri ) में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Pandemic) से ठीक हो चुके एक युवक के परिवार वालों ने पड़ोसियों के कथित सामाजिक बहिष्कार (Social exclusion) के चलते अपने घर के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है' का बोर्ड टांग दिया है.

शिवपुरी (मध्यप्रदेश) : मध्यप्रदेश के शिवपुरी में कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके एक युवक के परिवार वालों ने पड़ोसियों के कथित सामाजिक बहिष्कार के चलते अपने घर के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है’ का बोर्ड टांग दिया है.

कोविड-19 को मात देने वाला 28 वर्षीय युवक और उसके सेवानिवृत्त वृद्ध पिता ने कहा, ‘यहां जीना दूभर हो गया है, हमसे सामाजिक बहिष्कार का यह दर्द झेला नहीं जाता, इसलिए हम शिवपुरी के इस शिव कालोनी में अब नहीं रहना चाहते. उन्होंने कहा, इसलिए हमने अपने घर के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है’ का बोर्ड टांग दिया है.

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युवक 18 मार्च को दुबई से शिवपुरी लौटा था. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर उसे शिवपुरी जिला अस्पताल ले जाया गया और पृथकवास करके कोरोना वायरस की जांच कराई गई जिसमें उसके संक्रमित होने का पता चला. उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चलने के बाद ही जिला प्रशासन ने शिवपुरी में 24 मार्च से 31 मार्च तक कर्फ्यू लगा दिया था.

कोरोना वायरस संक्रमित होने का पता चलने के बाद से ही उसके परिवार के प्रति आसपास के तमाम पड़ोसियों का बर्ताव बदल गया. लोग इनसे सामाजिक दूरी बनाने लगे. इस युवक की दूसरी और तीसरी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद शिवपुरी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ए एल शर्मा ने युवक को पूर्ण स्वस्थ करार देकर अस्पताल से वापस घर भेज दिया और 14 अप्रैल तक घर में पृथकवास पर रहने को कहा. इस युवक ने कहा, मैं सही हो गया. मैंने मनोबल के साथ कोरोना वायरस को हरा दिया. मगर मेरा यह मनोबल मेरे पड़ोसियों के रवैये ने तोड़ दिया है. मेरे परिवार को पड़ोसियों ने उलाहने दे दे कर अछूत बना डाला.

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उन्होंने कहा, हमारा घर से बाहर कदम रखना ऐसा हो गया है जैसे कोई अपराधी बाहर आया हो. युवक ने कहा, इन लोगों ने सारी सीमाएं लांघ दी. लोग मकान लेने से पहले अच्छा पड़ोस देखते हैं क्योंकि वक्त पड़ने पर पड़ोसी ही सबसे पहले काम आते हैं. मगर जब से मैं घर आया है तब से देख रहा हूं कि घर से बाहर निकलने पर लोग नाक-भौं सिकोड़ते हैं. ऐसा लगता है मानो हमने कोई अपराध किया हो. हमको कोई सामान भी नहीं लेने दिया जाता.

उन्होंने कहा, मेरा मनोबल इन कुछ लोगों के बुरे बर्ताव ने तोड़ दिया है. हम अब यहां नहीं रह सकते. हालांकि, सभी लोग बुरे नहीं हैं, मगर कुछ लोगों के इस बर्ताव ने हमें तोड़ दिया है. अब घर बेचने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं. वहीं, इस युवक के पिता ने कहा, कुछ लोग तो ऐसे हैं कि सब्जी वाले को मना कर देते हैं, दूध वाले को मना कर देते हैं कि इनको दूध मत देना.

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इन्हें कोरोना वायरस हो गया है. पानी वाले को भी मना कर दिया जाता है. सब्जी के ठेले को भी हमारे घर के पास नहीं आने दे रहे. इन सब कारणों से तंग आकर अब हम यह मकान ही बेचना चाहते हैं.

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