Madhya Pradesh News इंदौर : मध्यप्रदेश में नौ महीने पहले कमलनाथ (Kamalnath) नीत कांग्रेस सरकार के पतन को लेकर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) द्वारा कही गई इस बात पर विवाद खड़ा हो गया है कि कमलनाथ की सरकार गिराने में यदि महत्वपूर्ण भूमिका किसी की थी, तो नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की थी, धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की नहीं थी. बुधवार को भाजपा के एक कार्यक्रम में विजयवर्गीय ने जब यह टिप्पणी की तब प्रधान भी मंच पर मौजूद थे.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस बयान को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है. इस बीच प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कहा, ‘भाजपा के किसान सम्मेलन में शामिल हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विजयवर्गीय के बेहद पुराने मित्र हैं. विजयवर्गीय का यह बयान दो मित्रों के बीच का सहज हास-परिहास था और इसे सिर्फ इसी रूप में देखा जाना चाहिए.’
विजयवर्गीय ने यहां दशहरा मैदान पर भाजपा के बुधवार को आयोजित संभागीय किसान सम्मेलन में श्रोताओं से कहा था, ‘मैं परदे के पीछे की बात कर रहा हूं. मैं यह बात पहली बार इस मंच से बता रहा हूं कि कमलनाथ की सरकार गिराने में यदि महत्वपूर्ण भूमिका किसी की थी, तो नरेंद्र मोदी की थी, धर्मेंद्र प्रधान की नहीं थी.’ भाजपा महासचिव की इस बात पर जब श्रोताओं ने ताली बजाते हुए ठहाके लगाए, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘…पर आप किसी को यह बात बताना मत. मैंने यह बात आज तक किसी को नहीं बताई है.’
नये कृषि कानूनों के समर्थन में भाजपा के किसान सम्मेलन के मंच पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे. विजयवर्गीय ने मंचासीन नेताओं से श्रोताओं को परिचित कराते हुए कमलनाथ सरकार गिराने को लेकर बयान दिया.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विजयवर्गीय के इस विवादास्पद बयान से जुड़ी एक पोस्ट गुरुवार को ट्विटर पर साझा की और लिखा, ‘क्या मोदी अब बतायेंगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? क्या मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए कोरोना का लॉकडाउन करने में विलंब किया गया? ये बहुत ही गंभीर आरोप हैं, मोदी जवाब दें.’
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गौरतलब है कि वरिष्ठ राजनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को गिर गई थी. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को राज्य की सत्ता में लौट आई थी.