मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले पुरानी पेंशन स्कीम का जिन्न बाहर निकल गया है. जी हां…इस योजना को लागू करने की मांग कर्मचारी काफी दिनों से कर रहे हैं. चूंकि कांग्रेस शासित पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो चुकी है. लिहाजा चुनावी साल होने से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी इस योजना को लागू करने का दबाव है.
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमला करते हुए पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दावा किया कि प्रदेश में परिवर्तन की व्यापक लहर है और कांग्रेस की सरकार बनने पर लोगों को पांच गारंटी मिलेंगी. प्रियंका ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर मध्यप्रदेश के लोगों के लिए पार्टी की पांच गारंटी दोहराईं, इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली भी शामिल है.
मध्य प्रदेश में अपने ही विधायकों की बगावत के कारण सरकार खो चुकी कांग्रेस हर वर्ग को लुभाने का प्रयास इस बार कर रही है. ऐसे में इतने बड़े कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने वादा कर लिया है कि यदि वो सत्ता में आती है तो, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का काम करेगी.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों की मानें तो मध्य प्रदेश की सरकार यदि पुरानी पेंशन योजना को लागू करती है तो 12 साल तक उसपर आर्थिक बोझ नहीं आएगा, यही नहीं सरकार को प्रदेश के 3.35 लाख कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन के तहत हर माह 14% की हिस्सेदारी करीब 344 करोड़ रुपये की फिलहाल बचत का लाभ मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि एक जनवरी 2005 के बाद मध्य प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम 1972 के दायरे से बाहर हैं. 2.87 लाख अध्यापक, जो 2008 में शिक्षक बने. इनपर न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू है. सूबे में जिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना है, उनसे ज्यादा संख्या नयी पेंशन स्कीम वालों की नजर आती है. यहां चर्चा कर दें कि करीब डेढ़ लाख संविदाकर्मी भी नियमितिकरण की मांग सरकार से कर रहे हैं.
कैसे गिरी थी कांग्रेस की सरकार
उल्लेखनीय है कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कांग्रेस की ओर से बनाया गया था. सरकार बनने के बाद 2020 में कांग्रेस के कई विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नाराजगी के बाद बगावत कर दी थी जिससे कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से राज्य के सीएम के तौर पर शपथ ली थी और वर्तमान तक ये सरकार काम कर रही है.
कमलनाथ की सरकार के गिरने की याद आज भी कांग्रेस भूल नहीं पायी है. यही वजह है कि पिछले दिनों प्रियंका गांधी ने ‘जन आक्रोश’ रैली में आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार धोखे से बनी है. उनका इशारा मार्च 2020 में सिंधिया और उनके वफादार विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से कमलनाथ सरकार गिरने से था. सिंधिया पर परोक्ष रुप से हमला करते हुए कांग्रेस नेता ने लोगों से इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मजबूत जनादेश देने को कहा ताकि कोई उसे गिरा न सके.
फिर से लागू होगी पुरानी पेंशन योजना!
इस बीच आपको बता दें कि कर्नाटक में फिर पुरानी पेंशन योजना लागू हो सकती है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पिछले दिनों ऐसे संकेत दिये हैं कि वह राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS, ओपीएस) बहाल करने को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा फैसले की घोषणा बजट में करेंगे. मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि सीएम सिद्धारमैया ने नयी पेंशन योजना कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की जो एनपीएस को रद्द करने की मांग को लेकर उनसे मिलने आए थे.
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आपको बता दें कि कांग्रेस ने इस बार चुनाव में कर्नाटक की सत्ता हासिल की है. जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां पुरानी पेंशन योजना लागू की जा रही है. पुरानी पेंशन योजना के बल पर मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस सरकारी कर्मचारियों का दिल जीतना चाह रही है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में पार्टी के बड़े नेता हर सभा में इस योजना के बारे में चर्चा करते नजर आते हैं.