इंदौर : मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का रेड जोन बन चुके इंदौर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लापरवाह है. सराफा थाना के पास स्थित मोरसली गली में एक बिल्डिंग में रह रहे तीन बंगाली कारीगरों में कोरोना के लक्षण मिले.
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ये लोग अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन कहीं इन्हें भर्ती नहीं किया गया. मजबूरन तीनों बंगाली कारीगर लौटकर अपने 54 साथियों के साथ रहने लगे. रिपोर्ट आने के बाद इन्हें शुक्रवार (17 अप्रैल, 2020) को कोविड अस्पताल पहुंचाया गया. इनके साथियों को भी क्वारेंटाइन कर दिया गया.
सराफा थाना के पास स्थित मोरसली गली में एक बिल्डिंग में कोलकाता, हुगली और चौबीस परगना के कई युवक एक साथ रहते हैं. सभी सराफा में सोना-चांदी के जेवरात बनाते हैं. पांच दिन पूर्व स्क्रीनिंग करने वाली टीम जब इस बिल्डिंग में आयी, तो तीन युवकों में कोरोना के लक्षण मिले.
शुरुआती जांच में डॉक्टर ने कोरोना की आशंका जताते हुए तत्काल इन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती होने को कहा. तीनों युवक एंबुलेंस से इंडेक्स मेडिकल कॉलेज पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि सर्दी-खांसी तो होती रहती है. इसके बाद तीनों युवक सुयश और एमवाय अस्पताल गये, लेकिन यहां भी इन्हें भर्ती नहीं किया गया. घंटों भटकने के बाद तीनों आखिरकार अपनी बिल्डिंग में लौट आये और 54 अन्य कारीगरों के साथ रहने लगे.
गुरुवार की रात जब रिपोर्ट आयी और दो युवकों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग व पुलिस अफसरों की टीम इन युवकों के पास पहुंची. पॉजिटिव मरीजों को कोविड अस्पताल भिजवाया गया, जबकि अन्य 55 साथियों को क्वारेंटाइन सेंटर भेज दिया गया.
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उल्लेखनीय है कि सराफा में करीब 11 हजार बंगाली कारीगर काम करते हैं. कुछ कारीगर ठेकेदार के अधीन काम करते हैं, तो कुछ व्यापारियों के पास आभूषण बनाने का काम करते हैं. इनमें से अधिकतर लोग सराफा, मोरसली गली, जूना रिसाला, एरोड्रम, कबूतर खाना एवं पल्हर नगर में किराये के मकान में रहते हैं.