Bihar Assembly Election 2020 , Case Filed Against Accused Policemen In Munger बिहार के मुंगेर जिले में गत 26 अक्टूबर की रात्रि में देवी दुर्गा की मूर्ति विर्सजन के दौरान श्रद्धालुओं पर “अवांछित और अनधिकृत लाठीचार्ज” करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. मूर्ति विसर्जन में शामिल श्रद्धालुओं पर पुलिसकर्मियों द्वारा लाठीचार्ज करने से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके आधार पर कोतवाली थाने में उक्त प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
मुंगेर के पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा, “लोगों पर अनधिकृत और अवांछित लाठीचार्ज में शामिल उन सुरक्षा कर्मियों की वीडियो फुटेज के आधार पर उनकी पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.” धार्मिक जुलूस पर पुलिस की कार्रवाई के दौरान गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गयी और कई लोग घायल हो गये थे.
चुनाव आयोग ने 29 अक्टूबर को मगध प्रमंडल के आयुक्त असंगबा चुबा एओ को पूरी घटना की जांच करने का आदेश दिया था. आयोग के आदेश पर तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश मीणा और पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए उनकी जगह सहकारिता विभाग की सहयोग समितियों में निबंधक के पद पर कार्यरत रचना पाटिल को मुंगेर के जिलाधिकारी के पद पर तथा लिपी सिंह की जगह मानवजीत सिंह ढिल्लो की मुंगेर के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनाती की गयी थी.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी में 20 साल के एक युवक की मौत हुई. इस बारे में मुंगेर के तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा था कि वह भीड़ के बीच से किसी के द्वारा चलायी गयी गोली से मारा गया था.
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने कहा था, “कुछ असामाजिक तत्वों ने दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान पथराव किया, जिसमें 20 जवान घायल हो गये. भीड़ की तरफ से गोलीबारी भी की गयी जिसमें दुर्भाग्य से एक व्यक्ति की मौत हो गयी.” घटना के एक कथित वीडियो में सुरक्षाकर्मियों को विसर्जन जुलूस में लोगों के एक समूह पर लाठीचार्ज करते दिखाया गया था.
साथ ही सोशल मीडिया पर एक विचलित करने वाली तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें इस घटना में कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में मारे गये व्यक्ति को उसकी खोपड़ी के खुले हिस्से के साथ जमीन पर पड़ा दिखाया गया था.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के लिए जाने के दौरान मूर्ति को ले जाने के बांस से बने वाहक के टूट जाने के बाद दिक्कत शुरू हो गयी थी और इसे ठीक करने में समय लग रहा था. मूर्ति को ले जाने वाले वाहक की मरम्मत में हुई देरी के कारण अन्य मूर्ति जुलूस रास्ते में फंसे हुए थे.
प्रशासन चाहता था कि जुलूस जल्दी से जल्दी निकले क्योंकि सुरक्षाकर्मियों को बुधवार को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाना था. इस घटना के आक्रोश में स्थानीय लोगों ने मुंगेर में 29 अक्टूबर को किला क्षेत्र स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर पथराव करने के साथ और एक वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
किला क्षेत्र में ही स्थित अनुमंडल अधिकारी के गोपनीय शाखा में तोड़फोड़, मुफस्सिल थाना, महिला थाना, वासुदेवपुर एवं पूरबसराय पुलिस चौकी में तोड़फोड़ एवं आगजनी की. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अपनी तुलना में उपद्रवियों के भारी संख्या को देखते हुए इन सभी पुलिस थानों के कर्मी अपनी जान बचाने के लिए परिसर से फरार हो गए थे.
प्रदर्शनकारियों ने कोतवाली और कासिम बाजार थाने को भी आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन वहां उन्हें पुलिसकर्मियों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिन्हें भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में फायरिंग भी की गयी थी. उपद्रवियों ने मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान कथित रूप से गोलीबारी करने के लिए जिम्मेदार पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुंगेर शहर में राजीव चौक के पास टायर भी जलाए थे.
उपद्रवियों के खिलाफ कुल पांच प्राथमिकी विभिन्न थानों में दर्ज की गयी है. पुलिस विभाग ने 26 अक्टूबर को गोलीबारी और लाठीचार्ज की घटनाओं के संबंध में मुफस्सिल थाने और बासुदेवपुर चौकी के प्रभारियों को हटाने का आदेश दिया था. विपक्षी दलों के लिपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग के बीच मंगलवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि चुनाव आयोग को घटना का संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए.
राजद के नेतृत्व वाले बिहार के विपक्षी महागठबंधन ने पुलिस की इस कार्रवाई को जलियांवाला बाग की घटना की संज्ञा दी थी. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस घटना को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद कहा था, “यह भाजपा-जदयू की सरकार थी जिसने देवी दुर्गा के भक्तों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी का आदेश दिया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि आठ अन्य लोग घायल हो गए.” कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया था कि सीआईएसएफ के वायरल हुए इमेल संदेश में मुंगेर में गोलीबारी का सहारा लिये जाने की बात कही गयी थी.
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