15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chhath puja 2022: बिहार के इस जिले में अयोध्या से आयी थी माता सीता, पहली बार यहीं किया गया था छठ व्रत

Chhath puja kharna puja vidhi: छठ को लेकर कई पौराणिक कहानियां और धार्मिक मान्यताएं है. एक कहानी यह भी है कि रामायण काल में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर माता सीता ने पहली बार छठ व्रत किया था. जिसके बाद से छठ व्रत मनाया जाने लगा.

Chhath puja 2022: लोक आस्था के महापर्व छठ का नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है. आज इस महापर्व का दूसरा दिन खरना है. आज के दिन व्रती सुबह गंगा नदी या घर में पवित्र स्नान कर पूरे घर की सफाई करेंगी और गंगा जल का छिड़काव किया जाएगा. इस व्रत में पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. शाम में व्रती छठी मैया के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये, दूध और गुड़ से बना हुआ प्रसाद अर्पित करेगी. छठ को लेकर कई पौराणिक कहानियां और धार्मिक मान्यताएं है. एक कहानी यह भी है कि रामायण काल में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर माता सीता ने पहली बार छठ व्रत किया था. जिसके बाद से छठ व्रत मनाया जाने लगा.

आज भी मौजूद है माता सीता का चरण चिन्ह

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता ने सबसे पहले मुंगेर के कष्टहरणी घाट पर छठ व्रत किया था. उसी के बाद इस महापर्व की शुरुआत हुई थी. जिस स्थान पर माता सीता ने छठ पूजा की थी. वहां आज भी माता का चरण चिन्ह मौजूद है. जिसे सीता माता का चरण चिन्ह माना जाता है वह एक विशाल पत्थर पर अंकित है. पत्थर पर दो चरणों का निशाना है. यह यह पत्थर 250 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है. यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है.

Undefined
Chhath puja 2022: बिहार के इस जिले में अयोध्या से आयी थी माता सीता, पहली बार यहीं किया गया था छठ व्रत 2
पौराणिक कथा

धर्म के जानकार पंडित का कहना है कि ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां सीता ने छह दिनों तक रह कर छठ पूजा की थी. जब राजा राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे, तो उनपर ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया था. क्योंकि रावण ब्राह्मण कुल से आते थे. इस पाप से मुक्ति के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर पर राजा राम ने राजसूय यज्ञ कराने के फैसला किया. इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था. लेकिन मुग्दल ऋषि ने अयोध्या आने से पूर्व भगवान राम और सीता को अपने आश्रम बुलाया. जिसके बाद मुग्दल ऋषि ने माता सीता को सूर्य की उपासना करने की सलाह दी थी.

मुग्दल ऋषि के सलाह पर माता सीता ने रखी थी व्रत

मुग्दल ऋषि के आदेश पर भगवान राम और माता सीता पहली बार मुंगेर आयी थी. यहां पर ऋषि के आदेश पर माता सीता ने कार्तिक की षष्ठी तिथि पर भगवान सूर्य देव की उपासना मुंगेर के कष्टहरणी गंगा तट पर छठ व्रत किया था. जिस जगह पर माता सीता ने व्रत किया वहां पर माता सीता का एक विशाल चरण चिन्ह आज भी मौजूद है. जिसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं.

आनंद रामायण में है वर्णन

धर्म के जानकार बताते हैं कि माता सीता द्वारा मुंगेर में छठ व्रत करने का उल्लेख आनंद रामायण के पृष्ठ संख्या 33 से 36 में भी है. जहां माता सीता ने व्रत किया वहां माता सीता के दोनों चरणों के निशान मौजूद हैं. इसके अलावे शिलापट्ट पर सूप,डाला और लोटा के निशान हैं.मंदिर का गर्भ गृह साल में छह महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है.जलस्तर घटने पर छह महीने ऊपर रहता है. इस मंदिर को सीताचरण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. 1972 में यहां पर संतो का सम्मलेन हुआ था. जिसके बाद इस जगह पर सीताचरण मंदिर बनाने का फैसला लिया गया था. 1974 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. यहां आज भी दूर-दूर से लोग छठ व्रत करने के लिए आती हैं. मान्यता है कि यहां छठ व्रत करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

लेख- गौरव कुमार, प्रभात खबर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें