मुंगेर: सरकार गरीबों को आवास देने के लिए योजना चला रही है. जिस पर करोड़ों, अरबों रुपये प्रतिवर्ष खर्च किया जा रहा है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण इन योजनाओं के असली हकदारों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसका जीता जागता उदाहरण शहर के दो नंबर गुमटी स्थित पुअर हाउस में देखने को मिल रहा है. जहां मौत के साये में जिंदगी है.
यहां 60 से 70 महादलित परिवार की जिंदगी दांव पर लगी हुई. हालात ऐसी है कि यहां महादलितों के लिए बने दो मंजिला मकान कभी भी जमींदोज हो सकती है और कई जिंदगी इसके मलबे में दब कर दम तोड़ देगी.
महादलित परिवार को रहने के लिए वर्ष 1985 में शहर के दो नंबर गुमटी में दो मंजिला भवन का निर्माण कराया गया था. यहां पर 60 परिवार को आवास उपलब्ध कराया गया. इसकी देख-रेख की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है. लेकिन पुअर हाउस में बने इन भवनों पर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया. समय के साथ मरम्मत के अभाव में भवन की स्थिति पूरी तरह से बिगड़ गयी. भवन का छत टूट-टूट कर गिर रहा है.
छत टूटने का यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है. कई भवनों का छत टूट गया तो कइयों का छज्जा व सीढ़ियां टूट गयीं. लेकिन मरम्मती की दिशा में कोई पहल नहीं है. आज हालात ऐसी हो गयी है कि यह भवन कभी भी धराशायी हो सकता है. जो कई जिंदगी लील लेगा. समय रहते जिला प्रशासन एवं निगम प्रशासन की नींद नहीं टूटी, तो यह भवन बड़े हादसों में शुमार हो सकता है.
पुअर हाउस में लगभग 400 लोग रह रहे हैं. भवनों की जर्जरता देख कर अधिकांश परिवार भवनों के सामने ही झोंपड़ी बना कर रहे है. किसी ने डिस्को चटाई से झोपड़ी बना रखी है तो किसी ने मिट्टी के गिलावे पर झोपड़ी तैयार किया है. एक झोपड़ी में 5-5, 6-6 लोग रहते हैं. इतना ही नहीं कई परिवार मजबूरी और विवशता के कारण आज भी जर्जर भवन में रहने को विवश है. यहां पर रहने वाले महादलित को हर दिन जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है.
वार्ड पार्षद हीरो यादव ने बताया कि पुअर हाउस का दो मंजिला भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. जिसमें रहना मौत को दावत देने के सामान है. उनके द्वारा निगम बोर्ड की बैठक में कई बार इस मुद्दे को रखा. कई बड़े वरीय अधिकारी व जनप्रतिनिधियों को भी यहां की वस्तु स्थिति से अवगत कराया. लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan