विश्व योग दिवस पर सभी लोग मन की अवस्था के प्रति एक साल सजग होने का संकल्प लें. एक साल प्रत्येक व्यक्ति शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, तनाव को कम करें और हंसमुख रहें. आवश्यकताओं में जो प्राथमिकता है उसे पूरा करें. स्वास्थ्य, इच्छा और प्राथमिकता पर ध्यान दें. यही विश्व योग दिवस की सार्थकता है.सजगता और सही दृष्टिकोण यौगिक जीवन शैली के आधार हैं.
जीवनशैली के रूप में जब योग को अपनाते हैं, तो शारीरिक स्वास्थ्य व स्फूर्ति में वृद्धि होती है. साथ ही मानसिक स्पष्टता एवं रचनात्मकता में विकास तथा जीवन में शांति का अनुभव होता है. यदि आवश्यकता को न्यूनतम करते हैं तो तनाव कम होता है.
योग की भाषा में उसे अपरिग्रह कहते हैं. इसे यौगिक यम नियम में अपनाने की बात कही जाती है. अमेरिका में तो मिनिमिल्थ ग्रुप है जो मन और व्यवहार में परिवर्तन लाने की दिशा में काम कर रहा है. सोशल मीडिया के अधिक उपयोग से मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा रहा है.
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बिहार योग विद्यालय लोगों के सुख, स्वास्थ्य, सद्भाव और सामंजस्य की प्रार्थनाएं अर्पित करता है. वर्ष 2015 से विश्व योग दिवस सभी योग साधकों को योग के प्राचीन संपूर्ण जीवन विज्ञान से अपने संबंध को मजबूत करने का एक सुअवसर बन चुका है.
बिहार योग विद्यालय योग के प्रति वैश्विक रुचि का पूर्णतया समर्थन करते हुए साधकों को प्रेरित करता है कि वे अपने यौगिक जीवन शैली को गहन बनायें और योग को स्वास्थ्यवर्धक एवं कल्याणकारी जीवन शैली के रूप में अपनाएं.
हमारी जीवन शैली में हमारी आदतें, दृष्टिकोण, सजगता, विचार, भावनाएं, कर्म, व्यवहार संबंध, नौकरी, व्यवसाय, नैतिक मूल्य, आहार, व्यायाम और निद्रा ये सभी शामिल हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो हम दिनभर में जो कुछ सोचते हैं और करते हैं, वह हमारी जीवन शैली का अंग है.
यौगिक जीवन शैली का उद्देश्य नकारात्मक और हानिकारक आदतों को सकारात्मक मंगलकारी आदतों में बदलना है, जो हमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन प्राप्त करने में मदद करती है तथा जीवन में सकारात्मक और रचनात्मक संस्कृति का विकास करती है.
योग शास्त्रों में योग की परिभाषा ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ है. अपने कर्मों में कुशलता, रचनात्मकता और उत्कृष्टता लाना सभी योग साधकों का लक्ष्य बनना चाहिए, ताकि अपने व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ दूसरों का भी जीवन स्तर उन्नत बनाया जा सके. रचनात्मक मन सदा आनंदमग्न रहता है और एक रचनात्मक जीवन शैली जीवन के हर पल को प्रसन्नता, सुंदरता और शुभता से भर देती है.
यदि यह रचनात्मकता आपके कर्म व्यवहार में अभिव्यक्त होती है तो यह आपके पारिवारिक तथा सामाजिक वातावरण में सुंदर एवं सार्थक परिवर्तन लाएगी. योग साधकों को अपनी जीवन शैली पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, तभी शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता तथा भावनात्मक संतुलन के रूप में योग का अधिकतम इस्तेमाल कर सकेंगे.
( प्रस्तुति : राणा गौरी शंकर )