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बागमती परियोजना : मकान व जमीन के भुगतान में फंसा पेच, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने जतायी आपत्ति

Bihar News: बागमती विस्तारीकरण फेज टू के तहत उत्तरी व दक्षिणी तटबंध के बीच आने वाले गांव के मकान मय सहन (आवासीय जमीन) का इस्टीमेट पर एक बार फिर फंस गया है.

मुजफ्फरपुर. बागमती परियोजना से विस्थापित हुए परिवार को जमीन व मकान के मुआवजा के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. बागमती विस्तारीकरण फेज टू के तहत उत्तरी व दक्षिणी तटबंध के बीच आने वाले गांव के मकान मय सहन (आवासीय जमीन) का इस्टीमेट पर एक बार फिर फंस गया है. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने इस संबंध में बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखा है, जिसमें कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है.

जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने जतायी आपत्ति

मुआवजा के लिए अलग-अलग मौजा के लिए अलग-अलग प्रस्ताव उपलब्ध कराने को युक्तिसंगत नहीं बताया है. इसके साथ ही प्रतिकर में छूट से संबंधित प्रस्ताव प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से भेजने को कहा है ताकि भुगतान को लेकर आगे की कार्रवाई की जा सके. योजना में जिले के चार दर्जन गांवों के लोग विस्थापित हुए हैं, जिन्हें मुआवजा और जमीन देकर बसाना है.

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बांध बनने पर बड़े इलाके को बाढ़ से मिलेगी राहत

10 वर्षों से अधूरे बागमती परियोजना के दोनों तटबंधों के निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है. इन दोनों तटबंधों के बन जाने से क्षेत्र में बाढ़ पर नियंत्रण के साथ ही मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी जिले के लोगों को दरभंगा जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग भी मिलेगा. बता दें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था. कटौझा से पहले तक बनाकर इसका काम बंद करा दिया गया था. 2009 से 2012 तक कटरा प्रखंड मुख्यालय तक दोनों तटबंध बनने के बाद से काम रोक दिया गया.

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