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मुजफ्फरपुर में AES का कहर: अबतक SKMCH में भर्ती 12 बच्चों में हो चुकी है एइएस की पुष्टि

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में भर्ती एक और बच्चे में एइएस की पुष्टि हुई है. जबकि, एइएस के संदिग्ध पांच बच्चे भर्ती हुए हैं.

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में भर्ती एक और बच्चे में एइएस की पुष्टि हुई है. जबकि, एइएस के संदिग्ध पांच बच्चे भर्ती हुए हैं. जिस बच्चे में एइएस की पुष्टि हुई है, वह वैशाली जिले के एकराहा सराय का पांच साल का कुंदन कुमार है.

पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी

उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है. कुंदन में हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि हुई है. उसका इलाज चल रहा है. इस बीमारी से अब तक पीड़ित हुए बच्चों में आठ बच्चे और चार बच्चियां शामिल हैं. इस साल के शुरुआत में जनवरी महीने में सीतामढ़ी के एइएस पीड़ित एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है. अन्य नौ बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं.

एइएस प्राटोकॉल के तहत इलाज

इनमें पांच केस मुजफ्फरपुर का, तीन मोतिहारी और दो सीतामढ़ी और एक-एक अररिया व वैशाली का है. जिले का पहला केस एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में भर्ती सरैयागंज के मुकेश साह का ढाई वर्षीय पुत्र अविनाश कुमार का है. डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीकू वार्ड में भर्ती कर बच्चे का एइएस के प्राटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है.

चमकी बुखार से पीड़ित आठ बच्चों में मिली हाइपोग्लाइसीमिया

चमकी-बुखार से पीड़ित जो बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हो रहे हैं, उनमें से अधिकतर बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया पायी गयी है. एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि जिन बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है, उनमें हाइपोग्लाइसीमिया मिली है. इससे बच्चों का शुगर लेवल कम हो जा रहा है. 10 जनवरी से 11 अप्रैल तक जो बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हुए हैं, उनमें से 12 बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है.

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आठ बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया मिली है

इनमें से आठ बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया मिली है. सीतामढ़ी के जिस एक बच्चे की जनवरी में मौत हुई थी, उसमें भी हाइपोग्लाइसीमिया पायी गयी थी. अभी तक जो बच्चे बीमार होकर अस्पताल पहुंचे हैं, वे सभी ग्रामीण इलाके के हैं. ये बच्चे अधिक गर्मी व बगान में खेलते थे और रात में बिन कुछ खाये सो गये थे, जिससे ये बीमार हो गये. डॉ सहनी ने कहा कि ये बच्चे रात में बिना खाये नहीं सोये, तो बीमार नहीं होते. अगर मां-बाप जागरूक हों और अपने बच्चों को शाम के समय स्नान करा दें और खाना खिला दें, तो बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित नहीं होंगे.

इस साल जनवरी महीने से ही सामने आने लगे एइएस के मामले

इस साल जनवरी महीने से ही एसकेएमसीएच में एइएस के केस आने लगे थे. 8 जनवरी को एइएस पीड़ित पहले बच्चे में पुष्टि हुई. इसके बाद दूसरा व तीसरा केस 10 जनवरी को मिला. फरवरी महीने में एक भी केस नहीं मिला. लेकिन 21 मार्च से एइएस के केस बढ़ते चले गये. 11 अप्रैल तक जिला व आसपास के जिलों के 12 बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है.

एइएस से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंचने लगे

गर्मी व उमस बढ़ने के साथ ही जिले व आसपास के इलाके के बच्चे एक बार फिर एइएस से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंचने लगे हैं. एसकेएमसीएच द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक पीड़ित बच्चों में पांच मुजफ्फरपुर के, तीन मोतिहारी, दो मरीज सीतामढ़ी और एक-एक अररियाव वैशाली के हैं. सीतामढ़ी के बच्चे की मौत इस साल जनवरी में इलाज के दौरान हो चुकी है.

पांच नये संदिग्ध मरीज मिले

एसकेएमसीएच में एइएस के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि फिलहाल पांच नये संदिग्ध मरीज मिले हैं. इनकी जांच रिपोर्ट अभी नहीं आयी है. उन्होंने बताया कि कई जांच के बाद ही एइएस की पुष्टि होती है, जिसमें एक सप्ताह का समय लग जाता है. जिले के मीनापुर, कांटी, मुशहरी, मोतीपुर व पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है.

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