मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े प्रखंड में करीब 256 सरकारी विद्यालय का संचालन हो रहा है. भीषण गर्मी शुरू होने के साथ दर्जनों स्कूलों में चापाकल ने जवाब दे दिया है. नतीजा यह है कि चिलचिलाती धूप में छात्र-छात्राओं को प्यास बुझाना मुश्किल हो गया है. खुद घर से पेयजल ले जाने को मजबूर हैं.
कई स्कूलों में बच्चे चापाकल तक जाते जरूर है लेकिन पानी नहीं निकलने के कारण मायूस होकर ही कक्षा में पहुंचना पड़ता है. जो बच्चे घर से बोतल में पानी ले गये रहते हैं तो घूंट-घूंट पानी पीकर गले को तर करते हैं. प्रभात खबर ने सरकारी स्कूलों की जब पड़ताल की तो यह चौंकाने वाला सामने आया.
प्रखंड में किसी-किसी स्कूल में दो-दो चापाकल है लेकिन दोनों ही खराब है, तो कहीं तीन में दो खराब है. मध्य विद्यालय रजला का चापाकल खराब होने से बच्चों को पेयजल नहीं मिल पा रहा है. इस तरह से प्राथमिक विद्यालय सुमेरा उर्दू का चापाकल ठीक नहीं किया गया है. प्राथमिक विद्यालय छाजन दरधा मुशहर टोला में एक चापाकल खराब है.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय रजला विशुनपुर मंगल, मध्य विद्यालय फकुली, मध्य विद्यालय सोनबरसा डीह, मध्य विद्यालय रामपुर बलरा का भी चापाकल खराब है. प्रा. वि छाजन खड़ियार में एक चापाकल चालू है लेकिन वहीं पर सोख्ता टंकी से टकरा जाने के कारण खराब स्थिति हो गयी है. प्रा. विद्यालय थतियां व मवि तारसन में भी चापकल खराब है. प्रा. वि. दरियापुर कफेन (प.टोला) में खराब चापाकल का मरम्मत अभी तक नहीं हुआ है.
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मध्य विद्यालय मधौल के चापाकल खराब हैं. वहीं प्राथमिक विद्यालय खखरा में लगे चापाकल का पानी पीने लायक नहीं है. दो पाइप निकाले जाने से पानी गंदा निकल रहा है. इसी तरह कई अन्य विद्यालय का संचालन जर्जर और खराब पड़े चापाकल के बीच हो रहा है. स्कूली बच्चे खराब चापाकल के ठीक होने के इंतजार में है. ताकि भीषण गर्मी में प्यास बुझाकर पढ़ाई से वंचित नहीं होना पड़े.