रणवीर सिंह की शर्टलेस फोटो पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जहां एक तरफ रणवीर सिंह को सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल किया जा रहा है वहीं अब दूसरी तरफ उनके खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पूर्वी सीजेएम के कोर्ट में भारतीय मानव अधिकार सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम राजू नैयर ने परिवाद दायर किया है. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 अगस्त को होगी.
दायर किए गए परिवाद में अभिनेता रणवीर सिंह पर आरोप लगाया गया है कि एक पत्रिका के लिए बड़ी रकम कमाने और समाज के युवाओं को दिग्भ्रमित और भ्रष्ट करने और समाज को खराब करने की कोशिश करने के इरादे से शर्ट लेस तस्वीरें शूट कर उन्हें इंस्टाग्राम पर भी पोस्ट किया था. इससे महिलाओं को शर्मिंदगी हुई और साथ ही उनकी भावनाएं एवं गरिमा को भी ठेस पहुंची है. उनके खिलाफ आईपीसी की 292,293,509 आई टी एक्ट अधिनियम 67 A के तहत परिवाद दर्ज कराया गया है.
बता दें की इससे पहले चेम्बूर के रहने वाले ललित टेक चंदानी ने भी मुंबई में रणवीर सिंह पर एफआईआर दर्ज कराया है. यहां भी रणवीर सिंह पर महिलाओं की भावनाएं आहत करने और गरिमा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 292, 293, 509 और इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट की धारा 67(A) के तहत केस दर्ज किया गया है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें इंदौर के लोगों द्वारा रणवीर सिंह के लिए कपड़े दान करने का अभियान चलाया जा रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है की लोग रणवीर की न्यूड तस्वीर लगी ट्रॉली में कपड़े गिरा रहे हैं. सोशल मीडिया पर रणवीर की जमकर आलोचना हो रही है और अभिनेता की तस्वीरों को ‘अश्लील’ करार दिया है.
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रणवीर सिंह के खिलाफ आईटी ऐक्ट की धारा 67(A) के तहत भी केस दर्ज किया गया है. इसके अलावा भी कई धाराओं के तहत भी केस दर्ज किया गया है. अगर कोर्ट ने रणवीर सिंह को दोषी पाया तो उन्हें सात साल की सजा भी हो सकती है.