मुजफ्फरपुर की शाही लीची राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजने की कई साल से परंपरा रही है. कोरोना संकट के बीच इस बार दशकों बाद ऐसा होगा कि जिले की शाही लीची की खुशबू राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास में नहीं महकेगी. कोरोना के भयावह रूप और लॉकडाउन के मद्देनजर इस बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास पर शाही लीची नहीं भेजी जा रही है. मई माह खत्म होने पर है.अभी तक कैबिनेट सचिव की ओर से शाही लीची राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास भेजने को लेकर कोई दिशा निर्देश जिले में नहीं आया है.
सहायक निदेशक उद्यान उपेंद्र कुमार ने रविवार को बताया कि इस बार केंद्र सरकार से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आवास लीची भेजने को लेकर कोई दिशा निर्देश अब तक प्राप्त नहीं हुआ है. राज्यों में लॉकडाउन और कोरोना संकट को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार शाही राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आवास नहीं भेजी जाएगी.
प्रत्येक साल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लीची भेजने के लिए व्यापक तैयारी होती है. लीची में लाली आने के साथ ही कृषि और उद्यान विभाग बाग का चयन कर लेते है. फिर इसकी निगरानी की जाती है. खाने लायक होते ही लीची को तोड़ कर पैकिंग की जाती है. रेफ्रिजरेटर वैन से लीची को सड़क मार्ग से दिल्ली भेजी जाती है. लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. उहापोह के बीच शाही लीची बिक रही है. शाही लीची में कीड़ा भी निकल रहा हैं. ऐसे में उद्यान विभाग के समक्ष बेहतर गुणवत्ता वाली शाही लीची की तलाश करना चुनौती भी होगा.
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पिछले साल से कोरोना का खौफ बना हुआ है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए लीची देकर लौटे परियोजना उपनिदेशक आत्मा विनोद कुमार की तबीयत बिगड़ गयी थी. कोरोना जांच में वे पॉजिटिव पाये गये थे. जिसके बाद हड़कंप मच गया था.
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कोरोना और तूफान का जिक्र करते हुए मुजफ्फरपुर की पहचान शाही लीची के मिठास व स्वाद का याद किया. उन्होंने कहा कि 2018 में शाही लीची को जीआइ टैग दिलाया गया. अब लीची हवाई जहाज से लंदन तक जा रही है. पूरब से पश्चिम तक लीची का व्यापार फैल रहा है. यह देश व राज्य के लिए गर्व की बात है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan