नई दिल्ली : देश में कोरोना टीकाकरण के दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. इसमें गंभीर बीमारी से ग्रस्त 45 से 59 साल की उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण तो शुरू हो गया है. लेकिन, कोमोरबिडिज या एक साथ कई गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों को अपनी बीमारी साबित करने के लिए आरएमपी या किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर के पास इलाज के कागज लेकर जाना होगा. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से 20 गंभीर बीमारियों की सूची जारी की गई है.
केंद्र सरकार ने जिन 20 बीमारियों की सूची जारी की है, उसमें कुछ बड़ी सर्जरी और इम्यूनिटी आधारित बीमारियां भी हैं. वैक्सीन के पात्र लोगों को इसके लिए अपने इलाज और जांच संबंधी कागजों को संभाल कर रखना होगा और इसे आरएमपी को दिखाना होगा. यह जिम्मेदारी वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की है कि वह प्रमाणपत्र बनवाने के लिए किसी फर्जी चिकित्सक के पास न जाएं और जानकार या पारिवारिक चिकित्सक से ही प्रमाणपत्र बनवाएं. ग्रामीण क्षेत्र में थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इसलिए यहां सरकार को कड़ी निगरानी करनी होगी.
आईसीएमआर की एईएफआई कमेटी और कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ एनके अरोड़ा ने बताया कि कोमोरबिडिज बीमारियों को आसान भाषा में समझना होगा, जिससे प्रमाणपत्र बनावाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. बीमारी संबंधी पुराने कागज दिखाने पर कोई भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर प्रमाणपत्र बना सकता है. प्रमाणपत्र का पंजीकरण करते समय अपलोड करने की जरूरत नहीं है. वैक्सीन केन्द्र पर कोमोरबिडिज के लोगों को प्रमाणपत्र दिखाना होगा.
इन 20 गंभीर बीमारियों के लोग लगवा सकते हैं टीका
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दिल खराब होने के ऐसे मरीज जो अपनी बीमारी को लेकर पिछले एक साल के दौरान इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट हुए हों.
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दिल के ऐसे मरीज जिनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया हो और या फिर उनके हार्ट में लेफ्ट वेंट्रिकल असिस्ट डिवाइस लगाया गया हो या दिल की बड़ी सर्जरी हुई हो.
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हार्ट की ऐसी बीमारी जिसमें हार्ट फंक्शन प्रभावित हुआ हो, हार्ट की पंपिंग क्षमता 40 प्रतिशत से कम हो.
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दिल की ऐसी बीमारी जिसमें वाल्व खराब हो गया है, वाल्व खराब होने का स्तर औसत यानी सामान्य से ऊपर होना चाहिए.
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जन्मजात दिल की बीमारी जिसमें बचपन से दिल में खराबी हो और इसकी वजह से फेफड़ो पर दवाब बढ़ गया हो.
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अगर किसी को दिल की धमनी की बीमारी हो, उनकी बायपास सर्जरी हुई हो, स्टेंट लगा हो और साथ में ब्लड प्रेशर व डायबिटीज की भी बीमारी हो.
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सीने में दर्द हो और साथ में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का इलाज चल रहा हो.
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सीटी व एमआरआई जैसी जांच में स्ट्रोक होने का सबूत हो और साथ में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का भी इलाज चल रहा हो.
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फेफड़े की बीमारी हो जिसमें फेफड़े का प्रेशर बढ़ा हुआ हो और साथ में ब्लड प्रेशर व डायबिटीज का इलाज चल रहा हो.
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10 साल से डायबिटीज हो या कंप्लीकेशन हो, इसके अलावा साथ में ब्लड प्रेशर का भी इलाज चल रहा हो.
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किडनी, लिवर, बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया हो या फिर इस ट्रांसप्लांट के लिए वेटिंग में हो.
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किडनी फेल के मरीज जो डायलिसिस पर हो.
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स्टेराइड दवा का सेवन लंबे समय से कर रहे हो या इम्यूनोसेपरेशन की दवा ले रहे हो.
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लीवर फेल हो गया हो.
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सीवियर सांस संबंधी बीमारी हो गई हो और इसकी वजह से एक साल के अंदर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा हो और एफईवी1 का स्तर 50 पर्सेंट से कम हो.
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लिम्फनोड का कैंसर, ब्लड कैंसर या प्लाज्मा सेल का कैंसर हुआ हो.
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पिछले आठ महीने में अगर लीवर, ब्रेस्ट, माउथ, किडनी, लंग्स जैसे कैंसर हुआ हो.
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खून से संबंधित गंभीर बीमारी हो, जिसमें सिकल लेस, बोनमैरो, एप्लास्टिक एनीमिया या फिर गंभीर से थैलीसीमिया हो.
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अगर किसी की बॉडी में इम्यूनिटी नहीं बना पा रही हो या फिर एचआईवी हो.
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विकलांग लोग, जो बचपन से उठ बैठ नहीं पा रहे हैं, एसिड अटैक के शिकार लोग जिससे उन्हें सांस संबंधी समस्या हो, विकलांग हो जिसे स्पोर्ट की जरूरत हो, जो बोल नहीं पाते हैं और जिन्हें दिखाई नहीं देता या जो पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हों.
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Posted by : Vishwat Sen