छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासकीय नर्सिंग महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों और प्रदर्शक के पद पर 100 फीसदी महिला आरक्षण को असंवैधानिक बता दिया है. कोर्ट ने इस सबंध में जारी विज्ञापन की संबंधित शर्त को निरस्त कर दिया है.
100 फीसदी आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन
याचिकाओं में कहा गया कि बीएससी नर्सिंग में पुरुष अभ्यर्थियों के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है. नर्सिंग कोर्स और एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम, विशेषता में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पुरुष और महिला दोनों उम्मीदवारों के लिए बिना किसी आरक्षण के खुला है. इसलिए प्रदर्शक, सहायक प्राध्यापक और नर्सिंग में प्रिंसिपल के पद के लिए महिला उम्मीदवारों के पक्ष में 100 फीसदी आरक्षण असंवैधानिक, अवैध, तर्कहीन है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन है.
अभय कुमार किसपोट्टा और अन्य ने दायर की थी याचिका
याचिकाकर्ता अभय कुमार किसपोट्टा और अन्य ने छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2013 की अनुसूची तीन के इस नियम और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (रायपुर) द्वारा विभिन्न विषयों में सहायक प्राध्यापक (नर्सिंग) और प्रदर्शक के विभिन्न पदों लिए जारी विज्ञापन की वैधता को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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क्या है मामला
अधिवक्ताओं घनश्याम कश्यप और नेल्सन पन्ना ने बताया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग रायपुर द्वारा आठ दिसंबर 2021 को शासकीय नर्सिंग महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक और प्रदर्शक के 91 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. विज्ञापन की शर्त पांच में केवल महिला अभ्यर्थियों को पात्र माना गया था. विज्ञापन के अनुसार केवल महिला अभ्यर्थी ही आवेदन कर सकते थे. अधिवक्ताओं ने बताया कि जून 2013 में छत्तीसगढ़ चिकिस्ता शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2013 प्रकाशित किया गया था, जिसकी अनुसूची तीन में शासकीय नर्सिंग महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक एवं प्रदर्शक के पद के लिए केवल महिलाओं को पात्र माना गया था. याचिका में कहा गया था कि नर्सिंग कॉलेजों में प्रदर्शक और सहायक प्राध्यापक के पदों के लिए केवल महिला उम्मीदवार ही सीधी भर्ती के लिए पात्र होंगी, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है.