2019 के अर्द्धकुंभ संगम स्नान में मिलेगा साफ पानी, अपशिष्ट शोधन परियोजना मंजूर
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने नदी घाटी वाले चार राज्यों में नदी के प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से यहां अपशिष्ट शोधन आधारभूत संरचना के लिए 1917 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है. यदि यह परियोजना निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूरी हुई, तो 18 नालों का गंदा पानी […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने नदी घाटी वाले चार राज्यों में नदी के प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से यहां अपशिष्ट शोधन आधारभूत संरचना के लिए 1917 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है. यदि यह परियोजना निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूरी हुई, तो 18 नालों का गंदा पानी गंगा और यमुना नदी में जाने से पहले ही रोक लिया जायेगा. इससे 2019 के अर्द्धकुंभ के समय संगम पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं को प्रदूषण रहित पानी मिलने की उम्मीद है.
इन परियोजनाओं की मंजूरी के साथ ही हरिद्वार, रिषिकेश, वृंदावन, वाराणसी, इलाहाबाद और दिल्ली में 100 फीसदी अपशिष्ट शोधन की सुविधा मिल सकेगी. केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि संबंधित परियोजनाओं को केंद्र के नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत लागू किया जायेगा. इन परियोजनाओं को एनएमसीजी की कार्यकारी समिति की तीसरी बैठक में मंजूरी दी गयी. जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी, उनमें एक का उद्देश्य इलाहाबाद के नैनी, फाफामउ और झूंसी अपशिष्ट मंडलों में 767.59 करोड़ की अनुमानित लागत से अपशिष्ट को रोकना, हटाना और उसका शोधन करना है.
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं से 18 नालों के गंदे पानी का बहाव गंगा और यमुना में जाने से रोका जायेगा, ताकि 2019 के अर्द्धकुंभ मेले के दौरान संगम में नहाने के लिए आनेवालों को प्रदूषण मुक्त पानी मिल सके. दिल्ली में 344.81 करोड़ रुपये की लागत से ‘मैली से निर्मल यमुना’ परियोजना के तहत सात शोधन संयंत्र स्थापित किये जायेंगे. इसके अंतर्गत तेजपुर कलां, जाफरपुर कलां, खेड़ा डाबर, हसनपुर, ककरौला, कैर और टिकरी कलां में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जायेंगे.