नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रमों का एलान कर दिया है. सर्वसम्मति नहीं बनने की स्थिति में 17 जुलाी को मतदान होगा और 20 जुलाई को मतगणना के बाद तय होगा कि देश का प्रथम नागरिक कौन बनेगा. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान अाज भी बैलट पेपर से होता है. यह गुप्त तरीके से होता है. इसमें मतदाता को छोड़ कर किसी दूसरे व्यक्ति को यह मालूम नहीं होता कि किसने किस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया है.
राष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक दल अपने सांसदों और विधायकों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए बाध्य करने हेतु व्हिप जारी नहीं कर सकते. आइए, आपको बताते हैं कि देश का राष्ट्रपति कौन बन सकता है. हमारे देश में कैसे होता है राष्ट्रपति का चयन.
भारत में राष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है. संविधान के आर्टिकल 58 में किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति बनने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गयी हैं, जो इस प्रकार हैंः
- उम्मीदवार भारत का नागरिक हो
- उम्मीदवार की उम्र 35 साल से अधिक हो
- लोकसभा की सदस्यता पाने की योग्यता रखता हो
- किसी लाभ के पद पर न हो
राष्ट्रपति चुनाव 2017 : दिल्ली में सोनिया से गांधी को राष्ट्रपति बनाने की पैरवी करेंगी ममता!
राष्ट्रपति चयन की प्रक्रिया
- संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन की अधिसूचना जारी करने के साथ ही निर्वाचन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुअात हो जाती है.
- संविधान के आर्टिकल 54-59 में दिये गये प्रावधानों के अनुरूप राष्ट्रपति चुनाव कराये जाते हैं.
- आर्टिकल 54 में स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल काॅलेज के जरिये होगा, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के अलावा सभी राज्यों की विधानसभाअों और विधान परिषदों के सदस्य मतदाता होंगे. इस प्रकार संसद के दोनों सदनों के अलावा सभी राज्यों की विधानसभाअों के चुने गये सदस्य इलेक्टोरल काॅलेज के सदस्य होते हैं. किसी भी संसद या विधानसभा के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं होता.
- अनुपातिक प्रतिनिधित्व के जरिये राष्ट्रपति का चुनाव होता है, जिसमें एक व्यक्ति एक मत डालता है. इसमें दो चीजें जानना जरूरी है. पहला, अनुपातिक प्रतिनिधत्वः इलेक्टोरल काॅलेज के अलग-अलग सदस्यों के मत का मूल्य अलग-अलग होता है. विधायक के लिए यह उस राज्य की आबादी और राज्य में विधायकों की संख्या पर निर्भर करता है. हर राज्य के लिए विधायकों के मत का मूल्य तय है. यह उत्तर प्रदेश के लिए सर्वाधिक 208, तो सिक्किम के लिए न्यूनतम 8 है. एक सांसद के लिए यह हर विधायक के वोट मूल्य और चुने गये सांसदों की संख्या पर निर्भर है. वर्तमान में यह मूल्य 708 है.
- इस साल कुल 4,896 मतदाता (4,120 विधायक और 776 सांसद) बैलट पेपर के जरिये मतदान करेंगे.
- इस चुनाव में एक और व्यवस्था है, वरीयता वोटिंग की व्यवस्था. इसका मतलब यह है कि मतदाता सिर्फ सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी ही नहीं चुनते, बल्कि यह भी बताते हैं कि उनके अलावा कोई और भी उनकी पसंद है. ऐसे में वह दूसरी वरीयता वोट एक ही प्रत्याशी को या दूसरे प्रत्याशी को दे सकते हैं. इसका फायदा यह होता है कि यदि एक उम्मीदवार प्रथम वरीयता के वोटों से नहीं जीत पाता, तो दूसरी वरीयता के आधार पर विजेता तय किया जाता है.
- किसी उम्मीदवार के जीतने के लिए तय संख्या में वोट पाना जरूरी है. यह कुल वैध मत के आधार पर तय किया जाता है. इसलिए, वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चनाव में जीतने के लिए उम्मीदवार को (4,896/2)+1 यानी 2,449 वोट पाना ही होगा. यदि कोई भी उम्मीदवार इस आंकड़े तक नहीं पहुंच पाता है, तो सबसे कम वोट पानेवाले उम्मीदवार को इस दौड़ से बाहर कर दिया जायेगा.
- लेकिन, वरीयता वोट यह सुनिश्चित करता है कि और किसी वोट की जरूरत नहीं है. सबसे कम मत पानेवाले प्रत्याशी के वोट को मतदाता के द्वितीय वरीयता वोट के आदार पर बाकी बचे उम्मीदवारों में बांट दिया जाता है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक एक प्रत्याशी को जीतने के लिए जरूरी मत नहीं मिल जाते.