फोर्ब्स ने भारत को बताया एशिया का सबसे भ्रष्ट देश, मोदी सरकार के प्रयासों की तारीफ, पर नाकाफी
नयी दिल्ली : फोर्ब्स ने एंटी करप्शन ग्लोबल सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट छापी है. इसमें एशिया के भ्रष्ट देशों की सूची में भारत को पहले स्थान पर रखा गया है. वहीं जापान सबसे अंतिम स्थान पर है. यानी इस रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वाला देश है. […]
नयी दिल्ली : फोर्ब्स ने एंटी करप्शन ग्लोबल सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट छापी है. इसमें एशिया के भ्रष्ट देशों की सूची में भारत को पहले स्थान पर रखा गया है. वहीं जापान सबसे अंतिम स्थान पर है. यानी इस रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वाला देश है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जन सेवाओं का इस्तेमाल करने वाले दस व्यक्तियों में से सात व्यक्ति रिश्वत देते हैं. जबकि जापान में रिश्वत देने का आंकड़ा सिर्फ 0.2 प्रतिशत है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि लोगों को उम्मीद है कि सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने कीकोशिश कर रही है.
Asia's most corrupt countries: India ranks first, Japan comes in lasthttps://t.co/LvAKXYZoN8 pic.twitter.com/08iVOLQ4pF
— Forbes (@Forbes) June 6, 2017
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा 16 एशियाई देशों के लगभग 22000 लोगों पर किये गये इस सर्वेक्षण के आधार पर भ्रष्ट देशों की सूची को क्रमवार जारी किया गया है. रिपोर्ट में 16 देशों के 21,861 लोगों से जुलाई 2015 से जनवरी 2017 के बीच भ्रष्टाचार के बारे में सवाल किये गये.
इससे पता चला कि जापान में 0.2 प्रतिशत भ्रष्टाचार है, जबकि भारत में सबसे ज्यादा यानी 69 प्रतिशत भ्रष्टाचार है. रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में शामिल 16 देशों में लगभग 900 मिलियन लोगों ने शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सामान्य सेवाओं के लिए भी घूस देते हैं.
फोर्ब्स ने अपनी इस रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बताते हुए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने की बात कही थी.
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यही नहीं, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार में लगभग हर चुनावी सभा में कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो वह सबसे पहले भ्रष्टाचार पर लगाम लगायेंगे.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की इस रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी के शासनकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कदम उठाये गये हैं, लेकिन भारत की जड़ों में जिस कदर भ्रष्टाचार समा चुका है, सरकारी प्रयास फिलहाल नाकाफी ही कहे जायेंगे.