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सहारनपुर हिंसा : गर्लफ्रेंड की बेवफाई ने ”रावण” को पहुंचाया सलाखों के पीछे

लखनऊ : सहारनपुर हिंसा के मुख्य आरोपी एवं भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को गुरुवार को हिमाचल के डलहौजी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया. उसे ट्रांजिट रिमांड पर सहारनपुर लाया जायेगा. अपने नेता की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी है. इसके बाद सहारनपुर में इंटरनेट […]

लखनऊ : सहारनपुर हिंसा के मुख्य आरोपी एवं भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को गुरुवार को हिमाचल के डलहौजी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया. उसे ट्रांजिट रिमांड पर सहारनपुर लाया जायेगा. अपने नेता की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी है. इसके बाद सहारनपुर में इंटरनेट सेवाएं दो दिन के लिए बंद कर दी गयी हैं.

डीजी (अपराध) हरिराम शर्मा ने बताया कि सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद 46 प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं. अब तक 206 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें चंद्रशेखर शामिल है. नौ मई की रामनगर जातीय हिंसा के बाद से चंद्रशेखर फरार चल रहा था. उसे पकड़वानेवाले को 12 हजार रुपये इनाम देने का एलान किया गया था. यूपी पुलिस ने एसआइटी का गठन किया था. चालीस मामलों की जांच के लिए दस निरीक्षक एसआइटी में शामिल किये गये. ये मामले पांच मई से 23 मई के बीच दर्ज हुए थे. इससे पहले भीम आर्मी के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

गर्लफ्रेंड बनी पुलिस की मुखबिर
पुलिस चंद्रशेखर की गर्लफ्रेंड के जरिये उसे गिरफ्तार की है. बताया जा रहा है कि गर्लफ्रेंड ही पुलिस की मुखबिर बन चुकी थी. उसने ही चंद्रशेखर से संपर्क साधा. चंद्रशेखर जब अपनी गर्लफ्रेंड के साथ डलहौजी में घूम रहा था, उसी समय उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

जंतर-मंतर पर किया था प्रदर्शन
नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर सहारनपुर में दलितों पर हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद से चंद्रशेखर सुर्खियों में आया. उसने कहा था कि वह जातीय हिंसा के मामले में गिरफ्तार किये गये 37 ‘निर्दोष’ दलितों की रिहाई के बाद ही आत्मसमर्पण कर देगा. असल दोषियों को पकड़ने की बजाय पुलिस ने निर्दोषों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेजा.

चंद्रशेखर ने खड़ा किया संगठन
पेशे से वकील चंद्रशेखर और उसके साथी विनय रत्न सिंह ने जुलाई, 2015 में भीम आर्मी का गठन किया था. इस संगठन का मकसद सहारनपुर के दलितों के हितों की रक्षा करना था. इस वर्ष अप्रैल में आंबेडकर जयंती पर हुए हंगामे के बाद यह संगठन सुर्खियों में आया था.

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