सुप्रीम कोर्ट ने आयकर रिटर्न के लिए आधार को अनिवार्य बनाने पर लगायी आंशिक रोक, कहा-पैन से भी कर सकते हैं दाखिल
नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने पैन कार्ड के आबंटन और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार नंबर अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधानों के अमल पर शुक्रवार को आंशिक रोक लगा दी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आयकर कानून की धारा 139 एए की वैधता बरकरार रखते हुए कहा कि यह संविधान पीठ के […]
नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने पैन कार्ड के आबंटन और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार नंबर अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधानों के अमल पर शुक्रवार को आंशिक रोक लगा दी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आयकर कानून की धारा 139 एए की वैधता बरकरार रखते हुए कहा कि यह संविधान पीठ के समक्ष लंबित याचिकाओं के नतीजे के दायरे में आयेगा. संविधान पीठ विचार कर रहा है कि क्या आधार योजना से निजता के अधिकार का अतिक्रमण होता है और क्या इससे आंकड़ों के लीक होने का खतरा है.
न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि इस संबंध में कानून बनाने का संसद को अधिकार है. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने निजता के अधिकार और दूसरे पहलूओं पर गौर नहीं किया है कि आधार योजना मानवीय गरिमा को प्रभावित करती है. इन मुद्दों पर संविधान पीठ ही निर्णय करेगी. न्यायालय ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये उचित कदम उठाने का निर्देश दिया कि आधार योजना के तहत एकत्र आंकड़े लीक नहीं हो. न्यायालय ने कहा कि सरकार ऐसे उपाय करेगी जिससे नागरिकों को यह भरोसा हो कि इसके आंकड़े लीक नहीं होंगे.
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि आयकर कानून के प्रावधानों और आधार कानून के बीच किसी प्रकार का टकराव नहीं है. न्यायालय ने कहा कि बगैर आधार नंबरवाले पैन कार्ड संविधान पीठ द्वारा निजता के अधिकार जैसे मुद्दे पर फैसला किये जाने तक अवैध नहीं माने जायेंगे. यही नहीं, आधार से जुड़े निजता के अधिकार का फैसला होने तक नये कानून पर आंशिक रोक पहले किये गये किसी भी लेन-देन को प्रभावित या अमान्य नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने इससे पहले कहा था कि पैन कार्यक्रम संदिग्ध हो गया था, क्योंकि ये फर्जी भी बनाये जा सकते थे, जबकि आधार पूरी तरह सुरक्षित प्रणाली है जिसमें किसी भी व्यक्ति की पहचान को फर्जी नहीं बनाया जा सकता.