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किसान आंदोलन: उपवास पर बैठे शिवराज ने कहा- मैं पत्थर दिल इंसान नहीं…

भोपाल : मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के दसवें दिन शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां दशहरा मैदान में ‘शांति बहाली के लिये’ अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गये हैं. अपने उपवास स्थल से किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं सीएम बना था खेती 7.50 लाख हेक्टेयर में […]

भोपाल : मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के दसवें दिन शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां दशहरा मैदान में ‘शांति बहाली के लिये’ अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गये हैं. अपने उपवास स्थल से किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं सीएम बना था खेती 7.50 लाख हेक्टेयर में होती थी, अब ये 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है. हम किसानों के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. आज हर खेत को पानी मिल रहा है.

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शिवराज ने कहा कि 18% से कृषि ऋण पर ब्याज दर घटाकर हमने माइनस में कर दिया. एक लाख ले जाओ, 90 हजार दे जाओ. यह कहीं और नहीं होता है. उन्होंने कहा कि जब भी ओला, पाला या कोई संकट आया मैं सीएम हाउस में नहीं बैठा, खेतों तक गया, आपके बीच गया. पिछले साल प्याज की कीमत गिरी, तो मांग नहीं आयी, फिर भी हमने 6 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा. एक लाख क्विंटल हमने पिछले साल खरीदा. इस बार भी बम्पर पैदावार हुई है.

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सूबे के मुख्‍यमंत्री ने कहा कि मेरे किसान भाइयों घबराना मत. 8 रुपये प्रति किलो की दर से एक-एक प्याज़ खरीदा जायेगा. उन्होंने कहा कि आज पूरे मप्र के किसान भाइयों से कह रहा हूं… तुअर की दाल 5050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 10 जून से हम खरीदेंगे. ग्रीष्मकालीन मूंग की दाल 5,225 रु/प्रति क्विंटल की दर से खरीदेंगे. किसान को लाभकारी मूल्य देने में हम पीछे नहीं हटेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि एक हज़ार करोड़ से मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया जा रहा है, ताकि किसान को सही कीमत मिल सके. आंदोलन तब जायज़ है, जब सरकार न सुने. मैं आपसे चर्चा के लिए बैठा हूं. आइये, बैठकर बात करें. शिवरासज ने कहा कि आंदोलन के पीछे हिंसा करने वाले किसके हाथ हैं, इसकी जांच होगी. दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा. मैं किसानों से उपवास स्थल पर चर्चा करूंगा. यहीं से फैसले किए जायेंगे.

शिवराज ने कहा कि मेरे भाइयों यह संपत्ति जो जलायी गयी, वह शिवराज सिंह चौहान की नहीं, किसी अपने का नुकसान हुआ है. किसान की पीठ पर पड़े डंडे की चोट मेरी पीठ पर लगाती है, पीड़ा मुझे महसूस होती है. मैं पत्थर दिल इंसान नहीं हूं. जनता की ओर कोई लाठी उठती है, तो वह मेरी पीठ पर पड़ती है. अपने संबोधन के बाद उपवास पर बैठे सूबे के मुख्‍यमंत्री ने किसान प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की शुरूआत की.

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