अभी तक शुरू नहीं हो पायी है किसानों के खातों में खाद सब्सिडी देने वाली डीबीटी योजना, जानिये कबसे होना था शुरू…?
नयी दिल्लीः उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसानों के हितकारी योजना के बूते प्रचंड जीत हासिल करने के बाद केंद्र सरकार ने किसानों को मिलने दी जाने वाली खाद सब्सिडी को समाप्त करने का एेलान किया था. मर्इ महीने में सरकार की आेर से की गयी घोषणा में यह कहा गया था कि सरकार […]
नयी दिल्लीः उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसानों के हितकारी योजना के बूते प्रचंड जीत हासिल करने के बाद केंद्र सरकार ने किसानों को मिलने दी जाने वाली खाद सब्सिडी को समाप्त करने का एेलान किया था. मर्इ महीने में सरकार की आेर से की गयी घोषणा में यह कहा गया था कि सरकार किसानों की खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी कंपनियों या दुकानदारों को देने के बजाय एक जून से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के सीधे किसानों के खातों में डालेगी. इसके साथ ही, सरकार की आेर से यह भी कहा गया था कि किसानों को यह सब्सिडी देश में पहले स्थापित करीब दो लाख के आसपास प्वाइंट आॅफ सेल (पीआेएस) के जरिये किया जायेगा, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की आेर से किसानों के खातों में सीधे खाद सब्सिडी डालने की योजना की शुरुआत नहीं की गयी है. हालांकि, इस संबंध में रासायनिक एवं उर्वरक मंत्रालय के आला अधिकारियों से संपर्क भी साधा गया, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोर्इ मुकम्मल जानकारी देने में अपनी रुचि नहीं दिखायी.
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माॅनसून सिर पर है आैर देश के किसानों ने करीब 81.33 लाख हेक्टेयर पर खरीफ फसलों के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दिया है. इसके बावजूद सरकार की आेर से किसानों को दी जाने वाली खादों की सब्सिडी के बारे में अभी यह तय नहीं किया जा सका है, उन्हें यह सब्सिडी कैसे मिलेगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने वित्त वषर् 2017-18 के बजट में किसानों को खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी के लिए करीब 70,000 रुपये के भारी-भरकम राशि का आवंटन कर दिया है.
बीते 23 मर्इ को इंडियन एक्सप्रेस आैर देश के अन्य मीडिया में आयी खबरों पर गौर करें, तो केंद्र सरकार ने एक जून से देश में खादों की बिक्री करने वाली कंपनियों की आेर से पहले से ही स्थापित करीब दो लाख के आसपास पीआेएस के जरिये किसानों को मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त कर सीधे खातों में डालने का एेलान किया था. खबरों में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि वषर् 2012 से अब तक देश के फर्मों या फिर जिले के खाद गोदामों से किसानों को मिलने वाली सब्सिडी की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जायेगा.
हालांकि, उस समय कहा यह भी गया था कि किसानों को जिस दो लाख पीआेएस के जरिये खादों की सब्सिडी का भुगतान किया जाना है, उनमें से कुछ पीआेएस देश के 17 जिलों पहले से ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर संचालित किये जा रहे हैं. ये पीआेएस देश के जिन 17 जिलों में संचालित किये जा रहे हैं, उनमें योगी आदित्यनाथ के गृह जिला गोरखपुर, बिहार के किशनगंज आैर बेगूसराय, झारखंड के धनबाद, मध्यप्रदेश के होशंगाबाद, राजस्थान के पाली, महाराष्ट्र के नासिक आैर रायगढ़, गुजरात के नर्मदा, आंध्र प्रदेश में कृष्णा आैर पश्चिमी गोदावरी, तेलंगाना के रंगा रेड्डी, कर्नाटक के तमकुर, करेल के त्रिशूर, हरियाणा के करनाल आैर कुरुक्षेत्र आैर हिमाचल प्रदेश के उना आदि शामिल हैं.
बीते 23 मर्इ को रासायनिक एवं उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि हम आगामी एक जून से फर्मों आैर कंपनियों के जरिये किसानों को मिलने वाली खाद सब्सिडी को समाप्त कर देंगे. उनका कहना था कि कंपनियों ने सरकार को पूरे देश में किसानों को खाद बिक्री के लिए करीब 1.98 लाख पीआेएस स्थापित करने के लिए 31 मर्इ तक का समय दिया है. उन्होंने यह भी कहा था कि देश में स्थापित होने वाले पीआेएस से खाद की बिक्री के बाद सब्सिडी की मांग किये जाने के बाद उसकी राशि किसानों के खातों में डीबीटी स्कीम के जरिये सीधे डाली जायेगी.
हालांकि, सरकार का यह भी दावा है कि उसने खाद सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए रासायनिक खाद उत्पादक आैर बिक्रेता कंपनियों को अभी हाल ही में करीब 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. इसके साथ ही, सरकार ने यूरिया आैर अन्य खादों की कीमतों को निर्धारित करने का भी दावा किया था. देश में नोटबंदी के बाद उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि किसानों को रियायती दरों पर खाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार उर्वरक उद्योग को ऋण उपलब्ध कराने की गुंजाइश भी देख रही है. उन्होंने कहा था कि हम चाहते हैं कि इस सरकार के कार्यकाल में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी का भार शून्य हो.
इसके साथ ही रासायनिक खाद एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख एल मांडवीय ने भी कहा था कि सरकार खाद सब्सिडी को सीधे किसानों के खातों में डालने की योजना लागू करने का फैसला किया है. किसानों को यह सब्सिडी खाद्य सब्सिडी की ही तरह सीधे खातों में मिलेगी. हालांकि, अभी तक खादों पर दी जाने वाली सब्सिडी खुदरा बाजार से होने वाली बिक्री के आधार पर उत्पादक कंपनियों अथवा आयातकों को दी जाती है.