लगभग 50 सालों तक कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी 22 जुलाई 2012 को देश के राष्ट्रपति चुने गये थे. उनका कार्यकाल 24 जुलाईको पूरा होने वाला है, जल्दी ही देश को नया राष्ट्रपति मिल जायेगा. जबप्रणब मुखर्जीकांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति में थे तो उसके लिए एक संकट मोचक की तरह थे, जो बखूबी इस बात को जानते थे कि पार्टी को मौजूदा संकट से कैसे बाहर निकाल लाया जा सकता है. उनके संवैधानिक पद पर पहुंचने के बाद कांग्रेस के आधार में तेज गिरावट आयी और कई मुद्दों पर लगा कि उसके पास अब एक अभिभावक नहीं हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के गर्वनर रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. उन्होंने यह भी बताया है कि कोविंद के नाम पर एनडीए में सहमति है. राजनीतिक के मौजूदा समीकरण एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में हैं.
राजनीति के मौजूदा समीकरण एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में हैं. और, इस बात की संभावना बहुत कम है कि विपक्ष प्रणब मुखर्जी को अपना उम्मीदवार बनायेगा और अगर वह ऐसा करना भी चाहेगा कि तो मुखर्जी शायद ही उनके प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे. क्योंकि, निवर्तमान राष्ट्रपतियों के चयन में आम सहमति नामक शब्द अहम रहा है, जिसकी संभावना आज कोविंद की उम्मीदवारी के साथ खत्म हो गयी.
प्रणब मुखर्जी हमेशा से कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेता रहे, जब वे राष्ट्रपति बने तो उम्मीद की जा रही थी कि उनका कार्यकाल इतिहास में दर्ज होगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही. वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार देश में गठित हुई तो ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच संबंध बिगड़ सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और प्रणब मुखर्जी ने अपना कार्यकाल पूरा किया, लेकिन वे कभी भी समझौता करते हुए प्रतीत नहीं हुए.