राष्ट्रपति चुनाव 2017 : डाॅ राम नाथ कोविंद और मीरा कुमार का मायावती कनेक्शन

नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद से मुकाबले के लिए विपक्ष ने कांग्रेस नेता और लोकसभा की भूतपूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को मैदान में उतार दिया है. इसके साथ ही तय हो गया कि राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला दलित बनाम दलित ही होगा. राष्ट्रपति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2017 10:38 AM

नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद से मुकाबले के लिए विपक्ष ने कांग्रेस नेता और लोकसभा की भूतपूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को मैदान में उतार दिया है. इसके साथ ही तय हो गया कि राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला दलित बनाम दलित ही होगा. राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति की गुंजाइश भी खत्म हो गयी.

विपक्ष ने मीरा कुमार को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है. 72 साल की मीरा कुमार बिहार के सासाराम की रहनेवाली हैं. बड़े दलित नेता और देश के भूतपूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. राजनीति में कदम रखने से पहले विदेश सेवा की अधिकारी थीं. 1970 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चयनित होने के बाद उन्होंने कई देशों में अपनी सेवाएं दीं.

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वर्ष 2009 से 2014 के बीच लोकसभा की स्पीकर रहीं मीरा कुमार इस सदन की पहली महिला स्पीकर थीं. 3 जून 2009 को वह निर्विरोध स्पीकर चुनी गयी थीं. डाॅ मनमोहन सिंह की अगुवाईवाली यूपीए-1 सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रहीं मीरा कुमार पेशे से वकील भी रही हैं.

लगातार पांच बार सांसद रहीं मीरा कुमार पहली बार 8वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं थीं. उत्तर प्रदेश के बिजनौर से पहला चुनाव लड़नेवालीं मीरा ने पहले ही चुनाव में दो दिग्गज दलित नेताअों रामविलास पासवान और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को हराया था. मीरा कुमार दिल्ली के करोलबाग सीट से तीन बार सांसद रहीं.

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डाॅ राम नाथ कोविंद और मीरा कुमार में एक बड़ी समानता है. मीरा कुमार दलित समुदाय से हैं. पार्टी ने उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ चुनाव में उतारा और मीरा ने बहनजी को पटखनी भी दे दी. वहीं, उत्तर प्रदेश में जब भाजपा कमजोर हो गयी थी, तब पार्टी ने मायावती को टक्कर देने के लिए डाॅ राम नाथ कोविंद को आगे करने का निश्चय किया था. हालांकि, किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका.

बहरहाल, वर्ष 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर की वजह से मीरा कुमार को बिहार की सासाराम सीट पर हार का सामना करना पड़ा. राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल काॅलेज का गणित बताता है कि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी मीरा कुमार की हार सुनिश्चित है. अब देखना यह है कि दलित नेता कोविंद के नाम पर एतराज नहीं करनेवाली मायावती किसके पक्ष में मतदान करेंगी. खुद को हरानेवाली मीरा कुमार के पक्ष में या अपने प्रदेश के नेता कोविंद के पक्ष में.

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