इन कुत्तों को मार क्यों नहीं देते, ये पागल हो गये हैं और समाज व शांति के लिए खतरा हैं, लोगों ने ट्विटर पर किया गुस्से का इजहार
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ देश के लोगों का गुस्सा उबाल पर है. जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को शनिवार (24 जून) को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो लोगों ने ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार करना शुरू कर दिया. ट्विटर पर कुछ मीडिया हाउस ने […]
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ देश के लोगों का गुस्सा उबाल पर है. जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को शनिवार (24 जून) को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो लोगों ने ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार करना शुरू कर दिया.
ट्विटर पर कुछ मीडिया हाउस ने जेकेएलएफ के एक प्रवक्ता के हवाले से खबर दी कि मलिक को मैसुमा इलाके में स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया. मलिक एक वर्ष से ज्यादा समय से हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के साथ मिल कर कश्मीर घाटी में अलगाववादी प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहा है.
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मलिक की गिरफ्तारी की खबर आते ही ट्विटर पर सक्रिय लोगों ने जो प्रतिक्रिया दी, उससे पता चलता है कि देश के लोगों में अलगाववादियों के प्रति कितना गुस्सा है. पाइलो मिहू ने लिखा, ‘सिर्फ गिरफ्तारी क्यों. उसका तो एनकाउंटर कर दिया जाना चाहिए था.’ पारस घोष कहते हैं, ‘अब उसके टुकड़े-टुकड़े करके कश्मीरियों को बेच दो.’ आलोक नाथ ने तो यहां तक कह दिया कि उसे मार डालो. सड़क पर मारो, जेल में नहीं.
वहीं डाॅ बीएम सिंघल कहते हैं कि सेना को चाहिए कि वह घाटी को अलगाववादियों और आतंकवादियों से मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए. सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करनेवालों के खिलाफ सेना को सख्त और आक्रामक कार्रवाई करनी चाहिए.
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कुमार गौरव ने एक चैनल के ट्वीट पर रिप्लाई किया, ‘इन कुत्तों को मार क्यों नहीं देते. ये पागल हो गये हैं और समाज व शांति के लिए खतरा हैं.’ बी राज ने कहा कि आतंकवादियों को मार क्यों नहीं देते? वहीं मोहम्मद अरशद, सनी कनाल समेत कई लोगों ने अपनी भावना का इजहार करते हुए यासीन मलिक को पाकिस्तान भेजने की अपील की.
एलियास मार्क लोबो कहते हैं कि अखबारों और मीडिया की सुर्खियों में आने से इनका हौसला बढ़ता है. ऐसे लोगों को हीरो बनाने की बजाय मीडिया इन्हें नजरअंदाज क्यों नहीं करता? ऐसे ही विचार एहसान खान के भी हैं. एहसान कहते हैं कि जातीय और सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने में मीडिया की अहम भूमिका होती है.
नरेश शर्मा तो कश्मीर के अलगाववादी नेताअों की बार-बार की गिरफ्तारी, नजरबंदी और फिर उन्हें रिहा किये जाने से सख्त नाराज हैं. उनके गुस्से को उन्हीं के शब्दों में देखिये, ‘गिरफ्तार, रिहा, गिरफ्तार, रिहा. उसका एनकाउंटर कर दिया जाना चाहिए.’