दुनिया की जानी-मानी कंपनी एरियन स्पेस आज लाॅन्च करेगी जीसैट-17

बेंगलुरुः दुनिया की जानी-मानी उपग्रह प्रक्षेपण कंपनी एरियन स्पेस अपने भारी प्रक्षेपण एरियन-5 की मदद से बुधवार को यानी 28 जून को भारतीय संचार उपग्रह जीएसएटी -17 को लांच करेगी. एरियन-5 अपने साथ 3.4 टन वजन वाले जीसैट-17 उपग्रह के साथ ही हेलैस सैट 3 और इनमेरसैट एस इएएन मल्टी-मिशन रिले सैटेलाइट को भी अंतरिक्षीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2017 10:01 AM

बेंगलुरुः दुनिया की जानी-मानी उपग्रह प्रक्षेपण कंपनी एरियन स्पेस अपने भारी प्रक्षेपण एरियन-5 की मदद से बुधवार को यानी 28 जून को भारतीय संचार उपग्रह जीएसएटी -17 को लांच करेगी. एरियन-5 अपने साथ 3.4 टन वजन वाले जीसैट-17 उपग्रह के साथ ही हेलैस सैट 3 और इनमेरसैट एस इएएन मल्टी-मिशन रिले सैटेलाइट को भी अंतरिक्षीय परिधि में पहुंचाने के लिए प्रक्षेपित किया जायेगा. जीसैट-17 की फिलहाल जमीन पर होने वाली जांच संबंधी गतिविधियां जारी है और इसमें सोलर पैनल और ऐंटेना रिफ्लेक्टर लगाने का कार्य किया जा रहा है.

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जीसैट-17 को पृथ्वी की कक्षा से अंतरिक्षीय कक्षा में प्रक्षेपित करने से पूर्व किये जाने वाले सभी प्रकार के परीक्षण और जांच यूरोपियन अंतरीक्ष एजेंसी स्पेसपोर्ट के एस फाइव पेलोड को तैयार करने के लिए फ्रेंच गुयाना में स्थित एस-फाइव सी नामक सुविधा में की जा रही है. एस फाइव-सी उपग्रहों की जांच करने और उन्हें अंतरीक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए पूरी तरह से तैयार करने के लिए एक बड़ा और साफ-सुथरा कमरा है, जहां पर अंतरीक्ष विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इस महत्वपूर्ण कार्य में जुटे हुए हैं.

जीसैट-17 किसी विदेशी प्रक्षेपास्त्र से प्रक्षेपित किये जाने वाले भारतीय अंतरीक्ष शोध संस्थान (इसरो) के आखिरी कुछ उपग्रहों में से एक होगा. इसका प्रमुख कारण यह है कि 5 जून को ही इसरो ने अपने स्वदेशी प्रक्षेपास्त्र जीएसएलवी मार्क-थ्री डीवन के साथ 3.1 किलोग्राम जीसैट-19 को प्रक्षेपित किया था, जो अपनी अंतरिक्षीय कक्षा की ओर अग्रसर हो रहा है. इस प्रकार की जांच किसी भी भारतीय उपग्रह को अंतरीक्ष में प्रक्षेपित करने से पहले की जाने वाली एक नियमित जांच प्रक्रिया है. उपग्रह में सोलर पैनल का विस्तार करने के लिए इसके ऊपर एक जाली लगायी है, जिससे अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल शून्य होने की स्थिति में भी यह पैनल पूरी तरह से फैल सके.

इन सोलर पैनलों को उपग्रह के ऊपर लगाने की पूरी प्रणाली को समझने के बाद भारतीय तकनीशियनों ने उपग्रह के ऊपर इस सौर प्रणाली को विशेष जाली में लगाने के लिए दबाया है. कुछ इसी प्रकार से अंतरीक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए तैयार करने के लिए विशेष कमरे में जीसैट-17 में रिफ्लेक्टरों में कुछ बदलाव कर उन्हें समुचित ढंग से फिट किया गया है. एरियन स्पेस ने अपने आगामी एरियन-5 मिशन के तहत भारतीय जीसैट-17 को अपने प्रक्षेपण परिवार की संख्या के आधार पर वीए238 संख्या निर्धारित किया है और इसे फ्लाइट सिक्वेन्स में दूसरे स्थान पर रखा जायेगा.

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