हजारों साल पूर्व शिल्प व कपड़ा उद्योग से गुलजार थी कश्मीर घाटी

आज खून खराबे और अशांति से भरी कश्मीर की जमीन के अंदर प्राचीन अतीत का शानदार समय दफन है. हजारों साल पहले से कश्मीरी परंपरागत रूप से शिल्पकार रहे हैं. इन्हें बुनाई और शिल्प में महारत हासिल थी. श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर बुर्जहोम में व्यापक खुदाई के चालीस साल बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(एएसआइ) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2017 10:14 AM

आज खून खराबे और अशांति से भरी कश्मीर की जमीन के अंदर प्राचीन अतीत का शानदार समय दफन है. हजारों साल पहले से कश्मीरी परंपरागत रूप से शिल्पकार रहे हैं. इन्हें बुनाई और शिल्प में महारत हासिल थी. श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर बुर्जहोम में व्यापक खुदाई के चालीस साल बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(एएसआइ) की एक अप्रकाशित रिपोर्ट इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि कभी यहां समृद्ध शिल्प व कपड़ा उद्योग फला फूला होगा.

इस खुदाई में मिले तथ्य व खोज की रिपोर्ट पिछले सप्ताह एएसआइ के डायरेक्टर जनरल आरएस फोनिया ने अपनी सेवानिवृत्ति के कुछ दिन पहले ही जमा की. फोनिया बुर्जहोम स्थित इस नियोलिथिक साइट से भी जुड़े हुए थे. यह साइट सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन मानी जाती है. इसे हड़प्पा वालों के साथ नियमित कारोबार के लिए बसाया गया था.

बुर्जहोम स्थित इस खुदाई स्थल का समय 3000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक माना जाता है. इस स्थल से प्राप्त तथ्यों के आधार पर जो व्याख्या की गयी है, उसके अनुसार यह स्थल विकास के अलग-अलग चरणों से गुजरा है. इस सभ्यता ने खाना जमा करने से लेकर अनाज उपजाने तक के क्रमिक विकास का सफर तय किया है. यहां मिलने वाली चीजों का अनुसरण करते हुए खुदाई करने पर पूरी की पूरी मानव सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.

कश्मीर घाटी के बुर्जहोम स्थित इस स्थल की खोज येल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अभियान के तहत 1935 में एचडी टेरा और टीटी पीटरसन ने की. इसके बाद 1960 से 1971 के बीच टीएन खजांची की देख-रेख में इस स्थल की खुदाई की गयी. रिपोर्ट पूरा किये बिना ही खजांची की मृत्यु हो गयी. इसके बाद 1985 में जम्मू और कश्मीर के पुरातात्विक अधीक्षक के पद पर रहते हुए फोनिया ने इसकी खुदाई का काम जारी रखा. सेवानिवृति के कुछ दिन पहले फोनिया ने इस खुदाई स्थल की रिपोर्ट जमा कर दी है.

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