नयी दिल्ली : नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगायी है. कोर्ट ने पुराने नोट बदलने की तारीख को लेकर केंद्र सरकार की खिंचाई की. कोर्ट का कहना है कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए दोबारा मौका क्यों नहीं दिया गया ? कोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले को लेकर दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है.
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नोटबंदी के दौरान अपने पैसे निर्धारित अवधि में नहीं जमा कर पाने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआइ से पूछा कि जो लोग नोटबंदी के दौरान निर्धारित समय में पुराने नोट जमा नहीं करा पाये उनके लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती? जो लोग सही कारणों के चलते पुराने नोट बैंक में जमा नहीं करा पाये उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीन सकती. ऐसे लोग जिनके पास पुराने नोट जमा कराने का सही कारण मौजूद है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि यदि मौका नहीं दिया जाता तो ये एक गंभीर मुद्दा है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अगर कोई जेल में है तो वो कैसे रुपये जमा करावा पाएगा. सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों के लिए कोई ना कोई विंडो जरूर देनी चाहिए. केंद्र सरकार ने कहा कि ये रिजर्व बैंक को तय करना है कि वो केस टू केस के आधार पर पुराने नोट जमा करे या नहीं.
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उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उसने दलील दी थी कि वो नोटबंदी के दौरान अस्पताल में भर्ती थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था. यही कारण है कि वह तय समय सीमा पर पुराने नोट जमा नही कर सकी. इसके अलावा कुछ अन्य याचिकाएं भी थी जिनमें कहा गया है कि वो मजबूरन रुपये नहीं करा पाए.
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इससे पहले 21 मार्च को कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों ने 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं कराये उनको एक विंडो देना चाहिए. 8 नवंबर को पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी और लोगों को 30 दिसंबर तक ही पुराने नोट जमा कराने की समय सीमा दी थी.