लालू यादव पर कार्रवाई के बाद जदयू-नीतीश कुमार के लिए राजद के तेवर क्यों हो जाते हैं नम्र?

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जब भी कोई खबर मीडिया में आती है तब राष्ट्रीय जनता दल उतनी ही मजबूती से कहता है कि उसका जदयू से गठजोड़ अटूट है. सामान्य परिस्थितियों में लालू की पार्टी व नेताओं का तेवर गंठबंधन पार्टनर जदयू के प्रति इतना समर्पण वाला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2017 1:13 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जब भी कोई खबर मीडिया में आती है तब राष्ट्रीय जनता दल उतनी ही मजबूती से कहता है कि उसका जदयू से गठजोड़ अटूट है. सामान्य परिस्थितियों में लालू की पार्टी व नेताओं का तेवर गंठबंधन पार्टनर जदयू के प्रति इतना समर्पण वाला व विनम्र नहीं होता है. सामान्य दिनों में तो लालू के कुछ नेता नीतीश व जदयू पर सवाल ही उठाते रहते हैं. और, नीतीश के नेता इसके कड़े अंदाज में जवाब देते रहते हैं. लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहते हुए रेलवे के बीएनआर होटलों के गलत ढंग से आवंटन मामले में आज सीबीआइ छापेमारी की खबर आने के बाद जब राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मीडिया से रू-ब-रू हुए तो उन्होंने भाजपा व केंद्र सरकार को काेसने के साथ ही बहुत ही मजबूती से यह बात कही कि जनता दल यूनाइटेड से उनकी पार्टी का गंठबंधन अटूट है.

उधर, भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी ने इस छापेमारी के बाद नीतीश कुमार की एक बार फिर तारीफ की है और उन्हें धन्यवाद दिया. इसे छापेमारी को सुशील कुमार मोदी ने नीतीश की पार्टी के द्वारा 2008 में उठाये गये मामलों से लिंक किया और कहा कि उनके ही नेताओं ने इस मामले को उठाया था. साथ ही सुशील कुमार मोदी ने नीतीश से चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया और लालू प्रसाद यादव के पुत्र व बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. मालूम हो कि तेजस्वी यादव के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है.

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जब, राष्ट्रीय जनता दल यह बात जोर-शोर से कहता है कि गंठबंधन अटूट है तो सवाल उठता है कि क्या ऐसा वे विकल्पहीनता में कह रहे हैं? राष्ट्रीय जनता दल जब बिहार की राजनीति में हाशिये पर चला गया तब वह नीतीश कुमार के साथ गंठबंधन उसके लिए संजीवनी बनी और वहवापस सत्ता में आने में कामयाब हुआ. राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों की स्थिति कमजोर है. राज्य में सत्ता में साझेदारी के लिए लालू प्रसाद यादव के पास सीमित विकल्प हैं. ऐसे में उनके लिए यह मजबूरी भी है कि वे जदयू के साथ दोस्ताना संबंध बनाये रखें. पप्पू यादव ने आज कहा भी है कि लालू प्रसाद के लिए मजबूरी है कि वे नीतीश कुमार के साथ बने रहें ताकि सत्ता में रहने का उन्हें मामलों से घिरे होने के कारण लाभ मिलता रहे. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं लगता की नीतीश कुमार उन पर कुछ कार्रवाई करेंगे.

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अपनी साफ-सुथरी छवि और मुद्दों पर स्टैंड लेने वाले पर लचीली राजनीतिक शैली के कारण नीतीश कुमार के पास हमेशा कई विकल्प मौजूद रहते हैं. महागंठबंधन की सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा कोई मौका नहीं आया जब राष्ट्रीय जनता दल ने जनता दल यूनाइटेड को दबाव में लिया हो. उल्टे अपने कुछ नेताओं के बड़े बोले बयान आर जदयू के शीर्ष नेता नीतीश कुमार पर हमले के कारण राष्ट्रीय जनता को ही हमेशा बैकफुट पर आना पड़ा है और इस मामले में लालू प्रसाद यादव व उनके बेटे तेजस्वी यादव को सीधे तौर पर मीडिया में बयान देना पड़ा है. यानी लालू के लिए जनता दल यूनाइटेड आैर उसके शीर्ष नेता नीतीश कुमार आज की परिस्थिति में अपरिहार्य हैं.

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