मोदी सरकार पर खूब बरसे लालू, मगर सीबीआर्इ के कर्इ सवालों के नहीं दिया जवाब
नयी दिल्लीः दिल्ली, पटना, रांची समेत देश भर में करीब 12 ठिकानों पर सीबीआर्इ के छापों के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को दो जगहों पर प्रेसवार्ता करके अपनी सफार्इ दी. मगर, सीबीआर्इ की आेर से कर्इ एेसे खड़े सवाल खड़े किये गये, जिसका जवाब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नहीं दिये. […]
नयी दिल्लीः दिल्ली, पटना, रांची समेत देश भर में करीब 12 ठिकानों पर सीबीआर्इ के छापों के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को दो जगहों पर प्रेसवार्ता करके अपनी सफार्इ दी. मगर, सीबीआर्इ की आेर से कर्इ एेसे खड़े सवाल खड़े किये गये, जिसका जवाब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नहीं दिये. हालांकि, छापों के बाद प्रेस कांफ्रेंस में वह सीबीआर्इ छापों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार खूब बरसे आैर भाजपा आैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा.
सीबीआर्इ ने रेलवे के रेलवे के होटल घोटाले से संबंधित किये ये सवाल
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के 12 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवार्इ के दौरान ही सीबीआर्इ ने आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रेलवे के दो होटल बीएनआर होटल पुरी और रांची के बीएनआर होटल को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किये गये थे. दो होटलों की देखभाल करने और रखरखाव करने के लिए प्राइवेट कंपनी को लीज आउट का फैसला लिया गया. लीज आउट करने के लिए रेलवे ने टेंडर निकाले थे. इसके साथ ही, सीबीआर्इ ने यह भी सवाल किया था कि टेंडर सुजाता प्राइवेट लिमिटेड को दिये गये. जांच में पाया गया कि टेंडर देने में गड़बड़ी की गयी थी और इस प्राइवेट कंपनी को लाभ दिया गया. सुजाता प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर है.
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सीबीआर्इ ने सवाल किये थे कि सुजाता प्राइवेट लिमिटेड ने दो होटलों के टेंडर मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव के नाम पर जमीन दी थी. जमीन सीधा लालू प्रसाद यादव को ट्रांसफर नहीं की गयी थी. पहले ये जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मैसर्स डिलाइट प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर की गयी. 2010 और 2014 के बीच में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री नहीं थे, तो ये जमीन लालू प्रसाद यादव की कंपनी मैसर्स लारा प्रोजेक्ट एलएलपी को ट्रांसफर की गयी. 32 करोड़ की जमीन को सिर्फ 65 लाख रुपये में ट्रांसफर की गयी थी.
सीबीआर्इ के जिन सवालों का लालू प्रसाद ने दिया जवाब
सीबीआर्इ के इस सवाल के जवाब में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि जिन होटलों को लेकर कार्रवाई की जा रही है, उन्हें टेंडर और लीज लालू के रेलमंत्री बनने से पहले दिया जा चुका है. आईआरसीटीसी का गठन 1999 में हुआ. उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी साल 2002 में फंक्शन में आया. साल 2003 में दिल्ली, रांची, हावड़ा में आईआरसीटीसी को रेलवे ने होटल दिया. दिल्ली, रांची, हावड़ा के होटल आईआरसीटीसी को 15 साल की लीज पर दिया गया. आईआरसीटीसी से रेलवे ही लाइसेंस फीस भी लेता रहा. टाटा ने आईआरसीटीसी से दिल्ली में यात्री निवास लिया है. चाणक्या ग्रुप ने रांची में होटल लिया. यह फैसला मेरे रेलमंत्री बनने से पहले हुआ.
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इसके अलावा, लालू ने सीबीआर्इ के सवाल के जवाब में कहा कि यह सभी निर्णय एनडीए सरकार ने मेरे रेलमंत्री बनने से पहले ही ले लिया था. मैं तो 31 मई 2004 को रेलमंत्री बना. एनडीए के द्वारा पूर्व में लिये गये निर्णय के तहत साल 2006 में टेंडर किया गया. ये टेंडर ओपन बोली के आधार पर हुआ. जिसने अधिक बोली लगायी, उसे टेंडर मिला. आईआरसीटीसी को लाइसेंस के रूप में हर साल इन होटलों से 1 करोड़ 15 लाख रुपये मिल रहे हैं. लीज खत्म होने के बाद होटल चलाने वाले अपने इंस्फ्रास्ट्रक्चर को वापस ले जायेंगे.
लालू प्रसाद ने इन सवालों का नहीं दिया जवाब
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सीबीआर्इ के सवालों के जवाब तो दिये, लेकिन जो अहम सवाल हैं, उनका जवाब उन्होंने नहीं दिया. सीबीआर्इ ने सवाल खड़े किये गये थे कि टेंडर सुजाता प्राइवेट लिमिटेड को दिये गये. जांच में पाया गया कि टेंडर देने में गड़बड़ी की गयी थी और इस प्राइवेट कंपनी को लाभ दिया गया. सुजाता प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर है. सुजाता प्राइवेट लिमिटेड ने दो होटलों के टेंडर मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव के नाम पर जमीन दी थी. जमीन सीधा लालू प्रसाद यादव को ट्रांसफर नहीं की गयी थी.
इसके साथ ही सीबीआर्इ ने यह सवाल भी किये थे कि पहले ये जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मैसर्स डिलाइट प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर की गयी. 2010 और 2014 के बीच में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री नहीं थे, तो ये जमीन लालू प्रसाद यादव की कंपनी मैसर्स लारा प्रोजेक्ट एलएलपी को ट्रांसफर की गयी. 32 करोड़ की जमीन को सिर्फ 65 लाख रुपये में ट्रांसफर की गयी थी. सीबीआर्इ के इन सवालों का जवाब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नहीं दिया.