IIT-JEE की काउंसलिंग और दाखिलों पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटायी

नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आइआइटी जेईई एडवांस्ड प्रवेश परीक्षा में 18 बोनस पॉइंट्स देने के मामले पर सुनवाई करते हुए देशभर में आईआईटी, ट्रिपल आईटी और एनआईटी समेत अन्य इंजीनियरिंग काॅलेजों की काउंसलिंग और दाखिले की प्रक्रिया पर लगायी गयी रोक हटा दी है. बताते चलें कि इससे पूर्व शीर्ष कोर्ट ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2017 1:36 PM

नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आइआइटी जेईई एडवांस्ड प्रवेश परीक्षा में 18 बोनस पॉइंट्स देने के मामले पर सुनवाई करते हुए देशभर में आईआईटी, ट्रिपल आईटी और एनआईटी समेत अन्य इंजीनियरिंग काॅलेजों की काउंसलिंग और दाखिले की प्रक्रिया पर लगायी गयी रोक हटा दी है.

बताते चलें कि इससे पूर्व शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन की स्वीकृति बोनस मार्क्स देने के मामले मे सुनवाई के बाद ही दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से इन संस्थानों में दाखिला ले चुके 23,000 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया था.

कोर्ट ने आईआईटी में काउंसलिंग और दाखिले के संबंध में दायर होने वाली किसी भी रिट याचिका को स्वीकार करने पर भी सभी उच्च न्यायालयों पर प्रतिबंध लगा दिया था. आज,यानी सोमवार 10 जुलाई को इस मामले की सुनवाई थी, जिसमें यह फैसला आया है.

यहां यह जानना गौरतलब है कि आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के सभी अभ्यर्थियों को ग्रेस अंकों के रूप में 18 बोनस मार्क्स देने को लेकर दायर की गयी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

इस बार यह परीक्षा आईआईटी मद्रास ने आयोजित करायी थी. लेकिन इस परीक्षा में दो सवाल गलत थे, जिस कारण सभी परीक्षार्थियों को कुल 18 बोनस मार्क्स दिये गये.

बताते चलें कि इससे पूर्व की सुनवाइयों में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आईआईटी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा था.

दरअसल आईआईटी ने सारे अभ्यर्थियों को केमिस्ट्री और मैथ्स के पेपर्स में पूछे गये गलत सवाल के एवज में ग्रेस मार्क्स दिये हैं.

गौरतलब है कि तमिलनाडु स्थित वेल्लोर के रहनेवाले एक छात्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि आईआईटी ने उन छात्रों को भी ग्रेस मार्क्स दिये हैं, जिन्होंने उन सवालों को हल करने की कोशिश भी नहीं की है.

छात्र का तर्क यह है कि ग्रेस मार्क्स सिर्फ उन्हें मिलने चाहिए, जिन्होंने इन सवालों को छोड़ने के बजाय हल करने की कोशिश की हो. छात्र के मुताबिक, इन ग्रेस मार्क्स की वजह से पूरी मेरिट लिस्ट प्रभावित हुई है इसलिए मेरिट लिस्ट फिर से तैयार की जाये.

इस पर कोर्ट ने यह कहा है कि इतने सारे अभ्यर्थियों की काउंसलिंग और एडमिशन सिर्फ इसलिए नहीं रोकी जा सकती कि उन्होंने गलत सवाल को हल करने की काेशिश नहीं की़

कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में चूंकि माइनस मार्किंग का भी प्रावधान होता है, जिसके तहत गलत जवाब के बदले में मार्क्स काट लिये जाते हैं, ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि नंबर कट जाने के डर से भी कई अभ्यर्थियोंनेगलत सवाल को हल करने की कोशिश नहीं की होगी.

Next Article

Exit mobile version