अातंकी मक्की की धमकी आैर खुफिया इनपुट को हलके में न लेती सरकार, तो टल सकता था अमरनाथ हादसा
नयी दिल्लीः अमरनाथ यात्रियों पर किये गये आतंकवादी हमले के एक दिन बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमले के मद्देनजर घाटी की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलायी है. कहा यह जा रहा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह की इस बैठक के बाद केंद्र की आेर से एक उच्चस्तरीय दल घाटी की […]
नयी दिल्लीः अमरनाथ यात्रियों पर किये गये आतंकवादी हमले के एक दिन बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमले के मद्देनजर घाटी की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलायी है. कहा यह जा रहा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह की इस बैठक के बाद केंद्र की आेर से एक उच्चस्तरीय दल घाटी की स्थिति का आकलन करने के लिए जम्मू-कश्मीर जायेगा. हालांकि, हमले के एक दिन बाद जागी केंद्र सरकार की आेर से घाटी की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी जा रही है. अगर केंद्र सरकार पिछले साल कश्मीर में मारे गये आतंकवादी बुरहान वानी की बरसी पर आतंकवादियों की आेर से किये जाने वाली आशंकाआें की खुफिया इनपुट आैर पाकिस्तान में बैठे जमात-उद-दावा का सेकेंड कमांडर अब्दुल रहमान मक्की की धमकी को नजरअंदाज न करती, तो इस हादसे को टाला जा सकता था.
इसे भी पढ़ेंः IN PICS: आतंकी के मंसूबे भी नहीं डिगा रहे भक्तों के कदम, हर-हर महादेव की गूंज के साथ बढ़ रहा जत्था
सूत्रों के हवाले से मीडिया में इस बात का भी जिक्र किया जा रहा है कि सरकार को खुफिया एजेंसियों ने पहले ही इस बात के लिए आगाह कर दिया था कि बुरहान वानी की बरसी पर पूरे जम्मू-कश्मीर समेत अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया जा सकता है. बावजूद इसके सरकार की आेर से चौकसी बरतते हुए पूरी घाटी की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के बजाय केवल उसी क्षेत्र को सुरक्षा घेरे में लिया गया, जिस रास्ते से होकर अमरनाथ यात्रियों का जत्था गुजर रहा था.
वहीं दूसरी आेर सरकार ने बीते 19 जून को मुंबर्इ हमले के माॅस्ट वांटेड आतंकवादी आैर पाकिस्तान में प्रतिबंधित जमात-उद-दावा का सेंकेंड कमांडर अब्दुल रहमान मक्की की धमकी को भी नजरअंदाज किया है. मक्की ने 19 जून को एक वीडियो जारी कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी देते हुए कश्मीर की आजादी की बात की थी. उसने कहा था कि यदि मीडिया चाहे, तो कश्मीर को दो से तीन हफ्ते में आजाद कराया जा सकता है. वीडियो के जरिये मक्की की आेर से दी गयी धमकी को सरकार ने गीदड़भभकी समझने की भूल की आैर उसने इस पर अमल करने की कोशिश नहीं की.
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि मक्की के इस वीडियो के सामने आने के ठीक सप्ताह पहले ही 13 जून को घाटी में 6 सिलसिलेवार आतंकी हमले हुए थे. हालांकि, 6 सीरियल हमलों में से कोई भी हमला अमरनाथ यात्रा के रूट पर नहीं था, लेकिन यात्रा रूट से इन हमलों की नजदीकी को देखते हुए इस बात की पूरी आशंका थी कि बुरहान वानी की बरसी पर अमरनाथ यात्रा जैसी कमजोर कड़ी पर हमला जरूर करेंगे. इसी बात को लेकर खुफिया एजेंसियों ने सरकार को आगाह भी किया था, मगर सरकार ने खुफिया एजेंसियों के इस इनपुट पर ध्यान नहीं दिया.
बीते 13 जून को कश्मीर घाटी के लिस पुलवामा जिले के त्राल में दो हमले हुए, हालांकि, वे अमरनाथ यात्रा के रूट से जुड़े नहीं थे. अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पहलगाम से होती है. एनएच-501 के रास्ते त्राल से पहलगाम की दूरी 61 किमी है. आतंकियों ने अनंतनाग में हाईकोर्ट के जज के सुरक्षाकर्मियों पर पर भी हमला किया. अनंतनाग से पहलगाम की दूरी महज 43 किमी है. अातंकियों के इस हमले के बाद सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जब इस यात्रा की शुरुआत के एक सप्ताह पहले ही आतंकियों ने पुलवामा में हमला करके अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी, तो फिर सरकार ने केवल पहलगाम से शुरू होने वाली यात्रा वाले क्षेत्र को ही सुरक्षा घेरे में क्यों लिया?
इस बीच खबर यह भी आ रही है कि सरकार ने मंगलवार को अमरनाथ यात्रियों से सफर के दौरान सचेत रहने की हिदायत दी है. उसने यात्रियों से कहा है कि वे सरकार की आेर से उपलब्ध कराये जाने वाले प्रोटोकाॅल नियमों का गंभीरता से पालन करें.