नयी दिल्ली : विपक्ष ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी को उप राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बताया कि उप राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रुप में 18 पार्टियों ने गोपाल कृष्ण गांधी को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है. आइए हम आपको यहां बिंदुवार बताते हैं कि आाखिर कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी…
उपराष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष ने महात्मा गांधी के पोते गोपाल गांधी को बनाया उम्मीदवार
1. गोपालकृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ जो देवदास गांधी और लक्ष्मी गांधी के पुत्र हैं. सी राजगोपालचारी उनके नाना थे.
2. उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल की और 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवा दी. गांधी स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए. बतौर आइएस अधिकारी उन्होंने तमिलनाडु में अपनी सेवा दी.
3. गोपालकृष्ण गांधी 1985 से 1987 तक उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी रह चुके हैं. वहीं 1987 से 1992 तक वे राष्ट्रपति के ज्वाइंट सेक्रेटरी और 1997 में राष्ट्रपति के सेक्रेटरी के पद पर भी रहे.
4. गोपालकृष्ण गांधी ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग में सांस्कृतिक मंत्री और लंदन में नेहरू सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं. वह दक्षिण अफ्रीका के एक अत्यधिक लोकप्रिय उच्चायुक्त भी रह चुके हैं, जहां 1996 में उन्हें नियुक्त किया गया था.
5. लेसोथो में भी गोपालकृष्ण गांधी ने भारत के उच्चायुक्त के तौर पर सेवा दीं. बाद में उन्हें 2000 में श्रीलंका में भारत का उच्चायुक्त और 2002 में नार्वे में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया. आइसलैंड में भी वे भारत के राजदूत के पद पर रह चुके हैं.
6. 2004 से 2009 तक गोपालकृष्ण गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के पद पर रहे.
7. गोपालकृष्ण गांधी ने विक्रम सेठ के ‘अ सुटेबल ब्वॉय’ का हिंदी में अनुवाद किया है. यही नहीं उन्होंने श्रीलंका के तमिल वृक्षारोपण कर्मचारियों पर एक उपन्यास भी लिखा है.
8. गोपालकृष्ण गांधी और उनकी पत्नी तारा गांधी की दो पुत्री है.
9. यहां उल्लेख कर दें कि पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में भी गोपालकृष्ण गांधी का नाम उछला था लेकिन इन्होंने उस वक्त मना कर दिया था.
10. मीडिया में ऐसी खबरें आयी थी कि इस बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर भी विपक्ष ने चर्चा की थी. उनके नाम की वकालत खुद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से की थी लेकिन राम नाथ कोविंद के एनडीए उम्मीदवार बनने के बाद उनके नाम पर फिर विचार नहीं किया गया.