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अमरनाथ में भगवान शंकर ने बताया था अमरत्व का रहस्य, जानें कब से शुरू हुई थी यात्रा

अमरनाथ हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है. अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था. गुफा में बर्फ का स्वयंभू शिवलिंग बनता है, जिसके दर्शन श्रावण मास में होते हैं. इस शिवलिंग के दर्शन के लिए पूरे देश से […]

अमरनाथ हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है. अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था. गुफा में बर्फ का स्वयंभू शिवलिंग बनता है, जिसके दर्शन श्रावण मास में होते हैं. इस शिवलिंग के दर्शन के लिए पूरे देश से लोग हर वर्ष यहां आते हैं. आषाढ़ मास की पूर्णिमा से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है और सावन पूर्णिमा तक यह यात्रा चलती है.

अमरनाथ यात्रा की कहानी
अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम चरवाहे ने किया था. उसका नाम बूटा मलिक था. बताया जाता है कि वह भेड़ चराते हुए बहुत दूर निकल गया और एक गुफा के पास पहुंचा, जहां उसे एक साधु मिला जिसने उसे कोयले से भरी एक बोरी आग सेंकने के लिए दी. घर जाकर जब उस चरवाहे ने उस बोरी को खोला तो उसमें सोने के सिक्के थे. वह साधु का धन्यवाद देने के लिए जब उसी स्थान पर पहुंचा तो साधु नहीं मिले, तो वह गुफा के अंदर चला गया, जहां उसे शिवलिंग मिला. आज भी बूटा मलिक के परिवार को इस तीर्थ से होने वाली आय का कुछ हिस्सा मिलता है. ऐसी मान्यता है कि जब उसने यह बात वहां के राजा को बतायी तो उन्होंने इस तीर्थ की महत्ता जानी और तब से ही लोगों का यहां आना शुरू हो गया.
कब से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा
ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ यात्रा की शुरुआत उसी वक्त से हो गयी थी जब बूटा मलिक ने इस गुफा की खोज की थी. इतिहासकारों का मानना है कि पहली अमरनाथ यात्रा 1872 में आयोजित की गयी थी, जिसमें बूटा मलिक भी शामिल था. 1898 में स्वामी विवेकानंद ने भी अमरनाथ की यात्रा की थी. उन्होंने लिखा भी है कि मैंने सोचा कि बर्फ का लिंग स्वयं शिव हैं. मैंने ऐसी सुंदर, इतनी प्रेरणादायक कोई चीज नहीं देखी और न ही किसी धार्मिक स्थल का इतना आनंद लिया है. हालांकि आज अमरनाथ यात्रा का स्वरूप काफी बदल गया है और प्रति वर्ष यह यात्रा 45 दिनों के लिए आयोजित की जाती है, सावन के महीने में श्रद्धालु यहां बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आते हैं. वर्ष 1991 से 1995 तक आतंकी हमले की आशंका के कारण यात्रा को बंद कर दिया गया था, लेकिन पुन: यह यात्रा शुरू हुई. वर्ष 2000, 2001, 2002 और अब 2017 में आतंकियों ने इस यात्रा को निशाना बनाया है.
अमरनाथ की पवित्र गुफा
अमरनाथ की पवित्र गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह पहलगाम से 46 किलोमीटर और बाटल से 14 किलोमीटर दूर है. पहलगाम की ओर से अमरनाथ जाना थोड़ा कम कठिन है इसलिए लोग इसी रास्ते से जाना पसंद करते हैं. इस गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था. इससे पहले उन्होंने नंदी को पहलगाम में छोड़ा, चंद्रमा को चंदनवाड़ी, शेषनाग में शेषनाग को छोड़ा, महागुणा पर्वत पर गणेश को छोड़ा और पंचतरणी में भगवान ने पृथ्वी, जल, वायु, आग और आकाश को छोड़ा औरतब वे एकांत में अमरनाथ गुफा पहुंचे जहां उन्होंने पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया.

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