दिग्गज राजनेता मीरा कुमार के हृदय में छिपा है कविमन, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

आज देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान जारी है. 20 जुलाई को यह स्पष्ट हो जायेगा कि देश को राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद मिले या मीरा कुमार. रामनाथ कोविंद बनाम मीरा कुमार की जंग में एक बात तो साफ है कि मीरा कुमार देश की राजनीति में ज्यादा सक्रिय और चर्चित हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2017 1:05 PM

आज देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान जारी है. 20 जुलाई को यह स्पष्ट हो जायेगा कि देश को राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद मिले या मीरा कुमार. रामनाथ कोविंद बनाम मीरा कुमार की जंग में एक बात तो साफ है कि मीरा कुमार देश की राजनीति में ज्यादा सक्रिय और चर्चित हैं. वर्ष 2009-14 वे लोकसभा की अध्यक्ष रहीं. अपने कार्यकाल में उन्होंने बखूबी लोकसभा का संचालन किया. वे कांग्रेस पार्टी की शीर्ष नेताओं में शामिल हैं. यह कुछ बातें हैं जो मीरा कुमार के व्यक्तित्व को परिभाषित करती हैं, लेकिन कई और बातें भी हैं, जिनसे मीरा कुमार की पहचान होती है.

मधुर आवाज और ड्रेसिंग सेंस की होती है चर्चा
मीरा कुमार की मधुर आवाज, सौम्य शालीन ड्रेसिंग सेंस और कवि मन की चर्चा लोग अकसर करते हैं. लोगों का ऐसा कहना है कि उनकी आवाज इतनी मधुर है कि अगर वह डांट भी दें तो सुनने वाले को बहुत अच्छा लगेगा. वहीं उनका सोबर लुक भी हमेशा चर्चा में रहा है. सौम्य शालीन तरीके से पहनी गयी साड़ी, बंद गले का ब्लाउज, जूड़ा और माथे पर लाल बिंदी में वे एक आदर्श भारतीय नारी नजर आती हैं. अकसर वह सूती साड़ी पहनती हैं, जो उनके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है. इसपर उनका कवि मन. मीरा कुमार भले ही एक दिग्गज राजनेता हों, लेकिन उनकी कविताएं उनके कोमल मन को बयां करतीं हैं. कुछ पंक्तियां पढ़ें जो उनकी कविता ‘ग्यारह दिशा’ से ली गयी हैं.
जहां सूरज में तपिश ना हो
और रात के अंधेरे पीछे छूट जायें
जहां तमन्नाएं उकसा ना सकें
और भ्रम के घरौंदे चटक कर टूट जायें
जहां आस्थाओं के खंडहर ना हों…

इंडियन फारेन सर्विस में रहीं हैं मीरा कुमार
देश की दिग्गज महिला नेताओं में मीरा कुमार का नाम शामिल है. उनका जन्म बिहार के आरा जिले में हुआ है. उन्होंने सक्रिय राजनीति में वर्ष 1985 में प्रवेश किया था. वे पांच बार लोकसभा की सांसद रहीं हैं. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहीं हैं. मीरा कुमार बाबू जगजीवन राम की पुत्री हैं. 1975 में उन्होंने इंडियन फारेन सर्विस में सेवा दी और कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की है.

Next Article

Exit mobile version